SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 91
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 10 पुप्फयंतविरइयउ [2. 12. 4उद्बुद्धमुक्कसलिलावलिहिं सोहत फणेपचंगुलिहि। णिवडतहो तहो सिरमणिणहरु फणिदइवें णं उड्रियउ करु। थिरदेहणालि फणवलयदलि जले उग्गमिय पण्णयकमलि। उवविट्ठउ सुंदरु वीरमइ विलसइ विहसइ रंगइ रमइ । विसहरमत्थयरयणए थियउ अप्पउ पेक्खइ पडिबिंबियउ। सिसु मण्णइ अवरु वि एहु सिसु बोल्लावइ ण मुणइ विसमविसु । पाणियले मुहदाढउ फुसइ णाएं सहूं कि पिचवइ हसइ। घत्ता-हाहारउ गुरुउ तो झत्ति हुउ वाविहिं विहिणा णडियउ । णयणसुहावणउ परवइतणउ सप्पहो उपरि पडियउ ॥ १२॥ 13 Alarm at the news and astonishment at the miracle. तं णिसुणिवि विलुलियमेहलिय पुहईमहएवि विसंतुलिय। धाईय रोवइ पत्थिवघरिणि णियकलहविओइय णं करिणि । हा पुत्त पुत्त तामरसमुह हा पुत्त पुत्त किं हुयउ तुह । बहुदुक्खसयाई सहतियए पई विणु किं मई जीवंतियए। इय पभणिवि मरणु जि चिंतियउ अप्पाणउ तित्थु जि घेत्तियउ। महएविए कुवलयलोयणए हाहारउ उट्ठिउ परियणए। आकुंभत्थल मज्जति गय जहिं तहिं वि सुविहि सुरवरहि कय । केत्तिउ वण्णिजइ धम्मफलु गंभीरु वि थिउ आजाणु जलु । देहिं देविहे आयरु विहिउ णंदणु पुजिवि अंकई णिहिउ। घत्ता-संजमु तवचरणु णियमुद्धरणु धम्मु जि मंगलु वुत्तउ। जसु जिणधम्मु मणे तहो दिणि जि दिणे सुर वि णमंति णिरुत्तउ ॥१३॥ 10 The child is adopted by the Naga who takes him home. जणणेण पयाबंधुरु सुदिसु देवेहिं वि णायकुमार सिसु । हक्कारिउ वित्थारिउ पणउ फणिणा पडिवण्णउ णियतणउ | ३ D °द्ध. ४ E फणि. ५ This line and the following are defective in C. ६ ABC °वयण°. ७ D धीर'. ८ E पुसइ. 13. १Eढ०.२ E धायइ.३E घलि. ४ E देवयहिं देवियहिं. - २२ - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001870
Book TitleNayakumarchariu
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorHiralal Jain
PublisherBalatkaragana Jain Publication Society
Publication Year1989
Total Pages280
LanguagePrakrit, Hindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Grammar
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy