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1. 18. 11 ]
णायकुमारचरि
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The marriage.
वहु पिच्छिवि हरिसिउ धरणिणाहु ठवियदं कुलदेवई मंडवाई लोणई चडंति चमरई पडंति पिसुई सुसंति सुयणैई हसंति भोयणसंगें विसइ तलप्प करि कंकणाई घरि तोरणाइं मंगलकलसहिं पेम्माइरुक्खु मुहवड फेडिउ भोयंतराउ
म महो मिलिउ कर करहो मिलिउ
सुहिं किंकरेहिं कउ लहु विवाहु । विरइयई पुरंधिहिं तंडवाई । तालई चलाई विहेडिवि घडति । हम्मंति पडह तेण जि रसति । महलु विकाई णरु करइ बप्प । सुणिबद्ध णिद्ध तिलरिणाई । जलसिंचिड वहुवर दिति सुक्खु ।
जो वहुमुहुं पसरतराउ ।
यह वि णयसंचारु घुलिउ ।
धत्ता--सा पणइणि हूई पाणपिय तहो रायहो सुहभायणहो । णवकुंदपुष्पदंताणणहो सिरिवहू व णारायणहो ॥ १८ ॥
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इय णायकुमारचारुचरिए णण्णणामं किए महाकइपुप्फयंतविरइए महाकव्वे जयंधरविवाहकल्लाणवण्णणो
णाम पढमो परिच्छेउ समत्तो ॥
संधि ॥ १ ॥
18. १. D°डवि. २ E सुवणइ ३ E सरंति ४ E विडहइ. ५ E सुवि° ६ C जोइउ.
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