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________________ 1. 12 13. ] णायकुमारचरिउ जय थियपरिमियणहकुडिलचिहुर जय पयणयजणवयणिहयविहुर । जय समयसमयमयतिमिरमिहिर जय सुरगिरिथिर मयरहरगहिर। जय तियसमउडमणिलिहियचलण जय विसमविसयविसविडविजलण। जय णरयविवरगुरुवडणधरण जय समियकलुस जरमरणहरण । जय दसदिसिगयजसपर्सेरधवल णियेणयबलविणिहयकुणयपवल । जय खमदमसमजमणिवहणिलय गयणयलगरुय भुअणयलतिलय। जय गुणमणिणिहि परियलियहरिस जय जय जिणवर जय परमपुरिस। घत्ता--जहिं णिद्द ण भुक्ख ण भोयरइ देहु ण पंचिंदियह सुहु । जहिं कहिं मि ण दीसइ णारिमुहु तहो दसहो लहु लेहि महु ॥११॥ 10 12 The king listens to a religious discourse and then inquires about the fruit of the last of Sri Panchami. जिणदसणेण णरणाहु तुटु मुणि वंदिवि णरकोट्टई बइठ्ठ। परमेट्ठिहे णिग्गय दिव्य वाय तहिं णिसुय तेण पंचत्थिकाय । इसिवयई पंच घरवयइं पंच पंच वि गईउ समिदीड पंच । गुत्तीउ तिण्णि रयणाइं तिण्णि सल्लाई तिण्णि गारवई तिण्णि । दहभेयधम्मु छज्जीवकाय चउविहकसाय नव नोकसाय। अणवरउ धरियदूसहवयाहं एयारह पडिमउ सावयाहं। अंगई बारह आयण्णियाई चउदह पुवई मणि मण्णियाइं । णाणापुग्गलसंजोयभाव पयईरस दरिसिय दुक्खताव। आसवसंवररयणिजराई घोराई कम्मबंधंतराई। उप्पत्ति सरीरहं जं पमाणु सुरणरणारयमयउलहं णाणु । आउसु परिमाणविहत्तिकरणु गुणठाणारोहणु देहभरणु। घत्ता-इय णिसुणिवि पुच्छिउ सेणिपण भणु परमेसर महु विमलु। विणिवारियदुक्कियदुहवसरु सिरिपंचमिउववासफलु ॥१२॥ 10 ३ ABD चरण. ४ E धवल in place of पसर. ५ C जय in place of णिय. 12. १. D सुणिय. २ E omits the following three feet. ३ D°माउ. ४.1B एयारह; C एयारस. ५ D कम्मइं विनिवाइयाइं. ६ E परिणाम. ७ विहित्ति'; E कदत्ति'. नागकुमार....२. For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.001870
Book TitleNayakumarchariu
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorHiralal Jain
PublisherBalatkaragana Jain Publication Society
Publication Year1989
Total Pages280
LanguagePrakrit, Hindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Grammar
File Size18 MB
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