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________________ परिक्ख ] शब्दकोशः [पवड्डिय परिक्ख-परि+ईक्ष् , °इ III, 5, 8; °हिं III, परिहइ-परि+धा, °इ I, 7, 4; IX,5, 5. (H. 3, 8. °क्खिवि III. 3, 5. पहिरना to wear, by वर्णव्यत्यय). परिग्गह-परिग्रह I, 17, 7; III, 9, 8; VII, परिहव-परिभव VIII, 15, 14. 15, 1. परिहा-परिखा I, 7, 4. परिट्टिअ, य-परि+ स्थित I, 5, 7; III, 5, 6; परिहाण-परिधान V, 10, 20; IX, 8, 10. ___ IV, 6, 12... परिहाविअ-परि+धापित IX 22, 13. परिठविअ-प्रति+स्थापित VI, 5, 6. परिहूय-परिभूत III, 16, 12. परिणाविय-परि+णी+णि+क्त VI, 9, 10. परीहण-परिधान (exchange of long & परिणिवि-परिणीय II, 1, 1. ___short for metre) IX, 21, 29. परिणिजउ-परिणीयताम् I, 16, 8. पलय-प्रलय VII, 5, 1. परिणेसमि-परिणेष्यामि V,8, 3. पलयासंकिर-प्रलय + आशंक + इर (ताच्छील्ये) परिताय-परि+त्रै, हि VII, 11,7; °हु V,11, ___ IV, 8, 6. __15. पलव-प्र+लप्, °हि IX, 7, 10. परितायण-परित्राण VIII, 16, 1. पलविज-प्र+लप् ( कर्मणि) °इ IX, 9, 3. परिपुट्ठ-परिपुष्ट IX, 19, 19. पलाण-पलायित III, 16, 9; IX, 17, 1. परिफुरिय-परिस्फुरित I, 15, 4. पलाव-प्रलाप IX, 10, 11. परिभम-परि+भ्रम्, °इ I, 10, 13. पलासि-पल+आशिन् VII, 3, 2. परिमट्ठ-परिमृष्ट IV, 1, 7. पलोइय-प्रलोकित I, 14, 14. परिमालिय-परिमृदित II, 1, 4. ( Hem. IV, पलोट्ट-प्रति+आ+गम् °इ II, 2, 19 ( Hem. ___126.) IV, 166, H. पलटना to turn over पतित परिमिय-परिमित I, 11,3. टि.) परियड्ड-परि+वर्धय् , °इ, III, 2, 4. पलोट्टिय-प्रलोटित IV, 7, 16. परियाड्डिय-परि+वर्धित or आर्हित VI, 17, 12. पलोय-प्र+लोक् °मि VII, 4, 13. परियण-परिजन I, 9,5%; II, 13,6. पलोयण-प्रलोकन II, 4, 2. परियत्तण-परिवर्तन III, 14, 7. पल-पल्य (a measure of time ) IX, 18, परियरिअ, य-परिचरित I, 7,9; VI,17, 15. 9. परियलंत-परिगलत् IV, 10, 5. *पल्लट्ट-परि+अस्, °ट्टिवि II, 6, 3..( Hem. परियलिय-परिगलित I, 11, 9; VII, 13, 2. ____ IV, 200, H. पलटना to turn.). परियंचिअ-परि+अञ्चित (अर्चित ) II, 14, 8. *पल्लट्टिअ-पर्यस्त VI, 8, 1. परियाण-परि+ज्ञा, °इ V, 9,3 पल्लंक-पल्यङ्क II, 7, 4 ( Hem. II, 68. H. परियाणिज-परि+ज्ञा (कर्मणि ) °इ III, 2,9. पलंग). परियाणिय-(१) परिज्ञात ( २ ) परिज्ञापित VI, पवजिअ-प्रवादित II, 9, 5 ( H. बजाना :o ___8, 3. produce musical sound ). परियाणिवि-परिज्ञाय VI, 17, 7. पवट्टण-प्रवर्तन VI, 11, 11. परिवजण-परिवर्जन IV, 2, 10. पचट्ट-प्रकोष्ठ III, 4, 8 (Hem. I, 156.1 परिवङ्क-परि+वृध, °इ VI, 4, 11. पवत-प्र+वृध्, °इ III, 2, 4. परिवेय-परि+वेद IX, 10, 6 ( त्वं जानीहि, टि.) पवडिअ,°य-प्रवृद्ध II, 8,7; III, 13, 14. - १४७ - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org |
SR No.001870
Book TitleNayakumarchariu
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorHiralal Jain
PublisherBalatkaragana Jain Publication Society
Publication Year1989
Total Pages280
LanguagePrakrit, Hindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Grammar
File Size18 MB
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