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________________ .. पत्त] णायकुमारचरिउ [परिओस पत्त-पत्र III, 1, 8; VII, 10, 13; VIII, पयंत-पयःदुग्धमन्ते यस्य तद् भोज्यम् IX,21,39. 9,3. पयंप-प्र+जल्प "इ IX, 8,7.( See जंप) पत्तण-पत्र II, 1, 8. पयंपण-प्रजल्पन VI, 10, 9. पत्तल-पत्र + ल (कृश ) III, 4, 14 ( Hem. पयंपिअ-प्र+जल्पित III, 9, 6; III, 12, 1. ____ II, 1733; H. पतला; M. पातळ). पयंपिर-प्र+जल्प+इर (ताच्छील्ये) VI, 13, 20. पत्तवत्त-प्राप्त + वृत्त (श्रुतवृत्तान्त ) VII, 3, 6. पयाण-प्रयाण VII, 3, 10. पत्थर-प्रस्तर I, 4, 9; ( H. पत्थर s one ). पयाबंधुर-प्रजाबंधुर (नाग कु. नाम ) II, 4, 1; पत्थिअ-प्रार्थित I, 2, 3. VI, 13, 7. पत्थिव-पार्थिव I, 10, 7. पयार-प्राकार VI, 12, 14. पधाइअ-प्र + धावित III, 17, 1. पयारियसट्ट-प्रकारित+सट्ट ( नाटिका) IX, 21, पपुच्छ्यि -प्र + पृष्ट VI, 2, 11. 36. (पाडनि अनुसारि नृत्यसामग्री खेला नाचपबल-प्रबल III, 4,9. वानी, टि.) पबंध-प्रबन्ध II, 10, 9. पयाल-पाताल V,12, 6. *पबोल्लिअ-प्र+कथित I, 3, 12 (see बोल्लिअ). पयाव, अ-प्रताप I, 8, 1; I, 15, 8. पबोहण-प्रबोधन IX, 19, 1. पयास-प्र+काश, हि I, 2, 8. पब्भट्ठ प्र + भ्रष्ट IV, 2, 20. पयास-प्रकाश IX, 17,8; IX, 17,33. पब्भार प्र+ भार III, 12,9; IV, 9,7; पयासिय-प्रकाशित II, 7, 7. ___VII, 1, 9. पर-परम् ( but) I, 4, 2. पभण-प्र+भण, °इ II, 4, 4; °णंति VI, 5, 8. परजिय-पराजित I, 3, 6; I, 14, 10. पमाण-प्रमाण I, 12, 10; III, 1, 9; IV, परताविर-पर + ताप् + इर ( ताच्छील्ये ) VIT, 2, 8; IX, 8,8. 9,7. पमुह-प्रमुख I, 8, 4; V, 7, 5. परमत्थ-परमार्थ IV, 2,3. पय-पद I, 1, 3, I, 9,3; II, 7, 10. परमप्प-परमात्मन् IX, 4, 1. पयइ-प्रकृति IX, 10, 9. परमुच्छाह-परम+उत्साह VII, 15,5. पयई-प्रकृति (Karmic energy ) I, 12, 8. परमुच्छिय-परम+उच्छ्रित VIII, 10, 9. पयच्छिअ-प्र+दत्त V, 12, 5. परमुण्णय-परम+उन्नत I, 17, 4. पयट्ट-प्र+वृत् °इ IX, 11, 3. परमेट्टि-परमेष्ठिन् I, 12, 2. पयट्ट,त्त-प्रवृत्त II, 2, 1; III, 1,5; IV, परयार-पर+दारा IX, 8, 3. ____4, 9. परयारिअ-पारदारिक III, 12, 1; IX, 8, 3. पयडंत-प्रकटयत् III, 15, 12. परहण-पर+धन VI, 10, 14. पयडिय-प्रकटित VI, 6,4; VI, 8, 10. परंमुह-पराङ्मुख IV, 2, 7. पयपेल्लिअ-पद+प्रेरित III, 9, 17. पराइअ, य-परागत (परा +इ+त) IV, 8, 11; पयवडण-पद+पतन VIII, 7, 7. V, 12, 11. पयवित्ति-पद+वृत्ति IX, 2,9 पराउ-पर+आयुस् VII, 6, 12. पयंग-पतङ्ग (सूर्य) III, 14, 10; VII, 6, परायअ-परागत II, 6, 5. 14; IX, 16, 3. परावअ-पारावत VIII, 1, 4. (H. परेवा) पयंडपजोयण-प्रचण्डप्रद्योत, पु.VII, 4, 9. परिओस-परितोष VII, 4, 2. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001870
Book TitleNayakumarchariu
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorHiralal Jain
PublisherBalatkaragana Jain Publication Society
Publication Year1989
Total Pages280
LanguagePrakrit, Hindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Grammar
File Size18 MB
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