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________________ [9.9.7 पुप्फयंतविरइयउ जण्णपियरविहिमिसु मंडेप्पिणु तिक्खई कत्तियाइं खंडेप्पिणु । आमिसरसविसेस चक्खते सयलजीव भक्खिय भक्खंते । रुद्द बंभु सब्बु वि सई पासिर वंभणचारु वेयविहिविलसिउ । इंगालहो धोयहो धवलत्तणु कहिं जलेण णरदेहसुइत्तणु । घत्ता-दम्भे सलिले मट्टियणं आटेयपत्तणिहित्ताहारे । कह सुज्झंति वराय जड मइलिय घोरे हिंसायारे ॥९॥ 10 10 Remarks on Mimamsa and Sankhya. सुरय समिच्छइ सग्गहो गच्छइ परु मारेप्पिणु धम्महो वंछइ । हा हा वेयवाइ किं बोल्लइ तहो आयासे फलु किं फुल्लइ । एकु णिच्चु किं तच्चु भणिजइ एक देइ अण्णे किं लिजइ । एक्कु थाइ अण्णेक्कु वि धावइ एक मरइ अण्णेक्कु वि जीवइ । णिञ्चहो कहिं लब्भइ बालत्तणु णवजोव्वणु पुणरवि वुड्डत्तणु। णिञ्चु वत्थु परिणवइ ण भेयहिं तसथावरपुग्गलपरिवेयहिं । पुरिसारामु भवणु संदिट्ठउ पुरिसहो दंसणु कहिं मि ण लद्ध। एम सुण्णु मीमंसे सिर जीउ पुण्णु पाउ वि णउ दिट्टउ । किरियावजिउ णिम्मलु सुद्धर संखपुरिसु किं पयइए बद्धउ । विणु किरियए कहिं तणुमणवयणई विणु किरियए कहिं बहुभवगहणई। 10 विणु किरियए कहिं बज्झइ पावें मुच्चइ किं हो एण पलावै । घत्ता-भूयइं पंच पंच गुणई पंचिंदियइं पंच तंमत्तउ।। मणुहंकारबुद्धिपसरु कहिं पयईए पुरिसु संजुत्तउ ॥ १० ॥ 11 Concluding remarks on Kanada, Kapila and Sugata. जलजलणहं विरोहु ससहावें ताई थंतिं किह इके भावे । पवणु चवलु महि थक्क थिरत्तै हा कि झंखिउ सुरगुरुपुत्ते । 10. १C सुर सम्मिच्छई. २ C तहो आहासें फुल्ल किं फुलहिं. ३ E omits the following three feet. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001870
Book TitleNayakumarchariu
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorHiralal Jain
PublisherBalatkaragana Jain Publication Society
Publication Year1989
Total Pages280
LanguagePrakrit, Hindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Grammar
File Size18 MB
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