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________________ यथार्थ निर्णयपूर्वक ज्ञातृतत्त्व से ज्ञेयतत्त्व का विभागीकरण ) ( १६९ जिसप्रकार जगत के अनन्त द्रव्यों को ज्ञान, एक ही समय में एक साथ जाने तो भी वे ज्ञेयद्रव्य, अपने प्रमेयत्वगुण के कारण एकसाथ ही सबके ज्ञान के विषय बन सकते हैं, तो फिर आत्मा भी अनन्त द्रव्यों को अपने ज्ञानगुण के द्वारा एक साथ एक ही समय में, क्यों नहीं जान सकेगा? अवश्य जान सकेगा। जबकि प्रमेयत्वगुण जानने के लिये असीमित है तो ज्ञानगुण कैसे सीमित हो सकेगा? स्वभाव तो असीमित ही होता है।' अत: ज्ञान का स्वभाव भी क्षेत्र, काल से अमर्यादित रहता हुआ जानने योग्य सभी को जानने वाला है। लेकिन इतना अवश्य है कि ऐसा तभी संभव हो सकेगा जबकि वह ज्ञान किसी ज्ञेय विशेष के प्रति आकर्षित नहीं हो और निरपेक्ष रहकर जानने का कार्य करता रहे। कारण, जो ज्ञान किसी ज्ञेय विशेष के प्रति आकर्षित हो जावेगा तो वह ज्ञान उसही में सीमित रहते हुये परिणमेगा। लेकिन जो ज्ञान किसी ज्ञेय से निरपेक्ष रहेगा, उसके ज्ञान की विशालता कुंठित क्यों होगी? वह तो एक साथ ही अनन्त ज्ञेय होंगे तो भी उन सबको एक साथ जान लेगा। जैसे कोई एक बालक अपनी माता के साथ कोई मेला देखने जाता है और वहाँ वह अपनी माता से बिछुड़ जाता है। मेले में बिछुड़ जाने के बाद वह किसी में अटके बिना अपनी माता को ढूढता है और माता भी अपने उस पुत्र को ढूंढती फिरती है, लेकिन जब वे दोनों मिल जाते हैं तब उनसे पूछिये कि उनने उस मेले में क्या-क्या देखा? मेले में सब कुछ देखने में आने पर भी उन दोनों का ज्ञान मात्र अपनी माता एवं पुत्र में ही सीमित था; अत: उन दोनों ने सब कुछ देखते हुये भी कुछ भी नहीं देखा। फिर दोनों का मिलाप हो जाने के बाद, वे मेला देखते हैं तो मेले की हरएक विशेषता को उनका ज्ञान जान लेता है। यह तो स्थूल दृष्टान्त मात्र हैं। इसीप्रकार आत्मा का ज्ञान जब भी ज्ञेय-निरपेक्ष रहकर परिणमन करेगा तो वह ज्ञान किसको नहीं जानेगा? अमर्यादितरूप से सबको ही जानेगा। इसका प्रमाण है भगवान अरहंत का आत्मा। लेकिन अगर वह ज्ञान किसी भी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001865
Book TitleSukhi Hone ka Upay Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Patni
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year1999
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & philosophy
File Size11 MB
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