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भूमिका हिन्दी अनुवाद की जैन-लॉ की असली भूमिका अँगरेज़ो पुस्तक में लिखी जा चुकी है। जिसका अनुवाद इस पुस्तक में भी सम्मिलित है। हिन्दो अनुवाद के लिए साधारणत: किसी प्रथक भूमिका की आवश्यकता न थी किन्तु कतिपय आवश्यक बातें हैं जिनका उल्लेख करना उचित प्रतीत होता है। और इस कारण उनको इस भूमिका में लिखा जाता है
(१) जैन-लॉ इस समय न्यायालयों में अमान्य है, परन्तु वर्तमान न्यायालयों की न्याय-नीति यहो रही है कि यदि जैन-लॉ प्राप्त विश्वस्त रूप से प्रमाणित हो सके तो वह कार्य रूप में परिणत होनी चाहिए। यह विषय अँगरेज़ी भूमिका व पुस्तक के तृतीय भाग में स्पष्ट कर दिया गया है।
(२) पिछले पचास वर्ष की असन्तुष्टता के समय का चित्र भी तृतीय भाग में मिलेगा। जैन-लॉ के उपस्थित न होने के कारण प्रायः न्यायालयों के न्याय में भूल हुई है। कहीं कहीं रिवाज के रूप में जैन-लॉ के नियमों को भी माना गया है; अन्यथा हिन्दू-लॉ ही का अनुकरण कराया गया है। इस असन्तुष्टता के समय में यह असम्भव नहीं है कि कहीं कहीं विभिन्न प्रकार के व्यवहार प्रचलित हो गये हों।
(३) अब जैनियों का कर्त्तव्य है कि तन, मन, धन से चेष्टा करके अपने ही लॉ का अनुकरण करें और सरकार व न्यायालयों
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