________________
नहीं दी जा सकती (८)। यदि कोई अन्य विरोधी न हो तो स्त्री को विरोध करने का अधिकार है, चाहे सम्पत्ति किसी अच्छे कार्य के लिए दे दी जाय या अन्य प्रकार से ( ८ ) क्योंकि कौटुम्बिक सम्पत्ति से उचित प्रकार से भरण पोषण पाने का उसका भो अधिकार है ।
माता पिता भाई आदि सब मिलकर सम्पत्ति पृथक् कर सकते हैं (६०) । यदि पुत्र वयः प्राप्त न हो तो पिता योग्य आवश्यकता के लिए उसे ( सम्पत्ति को ) बेच सकता है या दे सकता है ( ११ ) । जो सम्पत्ति माता ने पिता से विरसे में पाई हो उसमें भी ऐसा ही समझना चाहिए । सन्तान की नाबालगी में माता को भी सम्पत्ति के पृथक करने में वही बाधाएँ पड़ती हैं जो पिता को होती हैं (८१) विभाजित अथवा प्रविभाजित दोनों प्रकार की सम्पत्तियों में से धार्मिक एवं कौटुम्बिक आवश्यकताओं के लिए पुत्रों की सम्मति बिना भी पिता को व्यय करने का अधिकार है ( २ ) ।
पितामह की सम्पत्ति में, चाहे वह जङ्गम हो या स्थावर, पिता और पुत्र समानाधिकारी है ( ८३ ) । पिता की सम्पत्ति का, पौत्र के न होने पर, पुत्र को पूर्ण अधिकार हैं और जिस भाँति वह चाहे उसे व्यय कर सकता है ( ६४ ) । क्योंकि ऐसा करने से उसे रोकने
c
(क) इन्द्र० ७-८ । जो सम्पत्ति माता को पिता से मिली हो उसमें भरण पोषण पाने का पुत्र को अधिकार है (देखो श्र० १२६) । ( 8 ) वर्ध० २१; श्रह ० ६६ |
(६०) इन्द्र० ८-६ । ( ११ ) श्रह • ११ ।
C
( १२ ) भद्र० ६२ ।
C
( ३ ) ग्रह ० ६७; इन्द्र० २५ । ( १४ ) इन्द्र०
२ ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org