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________________ - - के गोत्र का कोई भी लड़का गोद लिया जा सकता है (३४)। बड़ी आयु का, विवाहित पुरुष तथा संतानवाला भी गोद लिया जा सकता है (३५)। लड़की और बहिन के पुत्र को भी गाद लेने की आज्ञा है (३६)। गोद लेने की विधि वास्तव में गोद में देना आवश्यक है (३७) परन्तु यदि वह असम्भव हो तो किसी अन्य प्रकार से देना भी यथेष्ट होगा (३८)। किन्तु दे देना आवश्यक है (३६)। इसका लेख भी यथासम्भव होना चाहिए और रजिस्टरी होना चाहिए। प्रातःकाल दत्तक लेनेवाला पिता मन्दिर में जाकर द्वारोद्धाटन करके श्रीतीर्थकरदेव की पूजा करे और दिन में कुटुम्ब एवं बिरादरी के लोगों को इकट्ठा करके उनके सामने पुत्र-जन्म का उत्सव मनावे और सब अावश्यक संस्कार पुत्र-जन्म की भाँति करे। इससे प्रकट होता है कि श्रीतीर्थकरदेव की पूजा और वास्तव में गोद में दे देना अत्यन्त आवश्यक बाते हैं। परन्तु रिवाज के अनुसार यदि वास्तव में गोद में दे दिया गया है तो (३५) हसन अली ब० नागामल १ इला. २८८ । मानकचन्द ब. मुन्नालाल १५ पञ्जाब रे० १६०६ = ४ इंडियन केसेज़ ८४४; मनोहरलाल ब. बनारसीदास २६ इला० ४६५; अशरफ़ी कुँवर ब० रूपचन्द ३० इला० १६७; जमनाबाई ब० जवाहरमल ४६ इंडि० के० ८१ । (३६) लक्ष्मीचन्द ब० गद्दो० ८ इला० ३१६; हसन अली ब. नागामल १ इला० २८८। ( ३७ ) भद्र०४६-११; अहं० ५६-६५; गौड़ का हिन्दू कोड द्वि० वृ०३६६। (३८) शिव कुँवर ब. जीवराज २५ कल० वी. ना० २७३ प्री० कौं० । , , , , जमनाबाई ब. जुहारमल ५६ इंडि० के० ८१; जीवराज ब. शिवकुँवर ६६ इंडि० के० ६५। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001856
Book TitleJain Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChampat Rai Jain
PublisherDigambar Jain Parishad
Publication Year1928
Total Pages200
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Principle, & Ethics
File Size9 MB
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