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मईमं
सव्वाहिं गुजुत्तीहिं, पडिलेहिया । सव्वे कन्तदुक्खा य, प्रश्र सव्वे न हिंसया ॥ ७ ॥
बुद्धिमान् मनुष्य छहों जीव- निकायों का सब प्रकार की युक्तियों से सम्यक्ज्ञान प्राप्त करे और 'सभी जीव दुःख से घबराते हैं' - ऐसा जानकर उन्हें दुःख न पहुँचाये |
[ सूत्र ०, श्रु० १ ० ११, गा० ६ ]
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