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________________ ग्रन्थ और ग्रन्थकार के विषय में विजयेन्द्रसूरि जैन-जगत् में अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं। वे चलते-फिरते पुस्तकालय हैं । भारतीय विद्या के अनेक विषय के साथ उन्हें प्रेम है। उनकी जानकारी कितनी विस्तृत है यह उनके ग्रन्थों से विदित होता है। भगवान् महावीर के अब तक जितने जीवन-चरित निकले हैं, वर्तमान ग्रन्थ उनमें बहुत ही उच्चकोटि का है। इसके निर्माण में सूरि जी ने दीर्घकालीन अनुसंधान-कार्य के परिणाम भर दिये हैं। तीर्थङ्कर महावीर के संबंध में जैन साहित्य में और बौद्ध-साहित्य में भी जो कुछ परिचय पाया जाता है, उस सबको एक ही स्थानपर उपलब्ध कराना इस ग्रंथ की विशेषता है । डा० वासुदेवशरण अग्रवाल श्राचार्यश्री ने इस उम्र में इतनी मेहनत करके इस प्रामाणिक पुस्तक की रचना की है, यह समाज के लिए गौरव की वस्तु है ही, लेकिन ऐतिहासिक विद्वानों के सामने महावीर के जीवन का पूरा साधन उपस्थित हुआ है। अगर आचार्यश्री का उदाहरण हमारे सब जैन-साधु कार्य में लाते तो जैन-परम्परा का स्थान आज विश्व में कहाँ पहुँच जाता। विजयसिंह नाहर एम.ए., एम्. एल्. ए. (कलकत्ता) इस ग्रंथ के प्रणयन और प्रकाशन के लिए मेरी परम श्रद्धापूर्ण बधाइयाँ हैं। करतूरमल वाँठिया (अजमेर) Education International For Private & Personal Use Only
SR No.001855
Book TitleTirthankar Mahavira Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1962
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Story
File Size10 MB
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