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________________ ( ७ ) गोशाला का आगमन गोशाला को भगवान् का उत्तर गोशाला द्वारा तेजोलेश्या का प्रमाण एक शंका और उसका समाधान भगवान पर तेजोलेश्या छोड़ना भगवान् की भविष्यवाणी गोशाला तेजहीन हो गया गोशाला की बीमारी पुल और गोशाला गोशाला की मरणेच्छा गोशाला की मृत्यु गोशाला देवता हुआ भगवान् मंढियग्राम में रेवतीदान रेवती ने दान में क्या दिया एक भिन्न प्रसंग में रेवती-दान भगवती के पाठ पर विचार अभयदेव को शंकाशील मानने वाले स्वयं भ्रम में श्रयमाणमेवार्थ के चिन्मन्यन्ते शब्द और अर्थ भिन्न हैं युक्तिप्रबोध-नाटक का स्पष्टीकरण आमिष का अर्थ जैन-धर्म में हिंसा निन्द्य है मांसाहार से नरक - प्राप्ति नरक-प्राप्ति के कुछ उदाहरण मांसाहार से किंचित् सम्बंध रखने वाला पाप का भागी Jain Education International For Private & Personal Use Only ११६ १२० १२१ १२२ १२४ १२५ १२१ १२१ १२८ १३० १३१ १२१ १३१ १३५ १३६ १३७ १४० १४० ६४३ ૧૪૨ १४१ १४८ १५० .१५३ ૬×૪ १२४ www.jainelibrary.org
SR No.001855
Book TitleTirthankar Mahavira Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1962
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Story
File Size10 MB
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