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________________ (३) उत्तर दिशा में चूल हिमवंत पर्वत है । उत्तर से दक्षिण तक भरत क्षेत्र की लम्बाई ५२६ योजन ६ कला है और पूर्व से पश्चिम की लम्बाई १४४७१ योजन और कुछ कम ६ कला है । उसका क्षेत्रफल ५३, ८०,६८.१ योजन, १७ कला और १७ विकला है । 3 पर्वत से पूर्व में भरत क्षेत्र के और पश्चिम भरत क्षेत्र की सीमा में, उत्तर में चूलहिमवंत नामक गंगा और पश्चिम में सिन्धु नामक नदियाँ निकली है। उस मध्य में ५० योजन विस्तारवाला वैताढ्य पर्वत है, जो पूर्व दोनों दिशाओं में समुद्र का स्पर्श करता है । वह वैताढ्य पर्वत भरत क्षेत्र को दो बरावर खण्डों में विभक्त करता है" । उत्तर- भरत और दक्षिणभरत । चूलहिमवंत से निकली गंगा और सिन्धु नदियाँ वैताढ्य पर्वत में से होकर लवण समुद्र में गिरती हैं । इस प्रकार ये नदियाँ उत्तर-भरत - खण्डको ३ भागों में और दक्षिण - भरतखंड को ३ भागों में विभक्त करती हैं । इन ६ खण्डों में उत्तरार्द्ध के तीनों खण्डों में अनार्य रहते हैं । दक्षिरण के अगलबगल के खण्डों में भी अनार्य रहते हैं । जो मध्यका खण्ड है, उस में ही आर्यों के २५|| देश हैं ७ । उत्तरार्द्ध-भरत उत्तर से दक्षिण तक २३८ योजन ३ कला है और दक्षिणार्द्ध भरत भी २३८ योजन ३ कला है । वैदिक दृष्टिकोण श्रीमद्भागवत में भी सात द्वीपों का वर्णन मिलता है । उनके नाम इस प्रकार हैं :-- जम्बू, प्लक्ष, शाल्मलि, कुश, क्रौञ्च, शाक और पुष्कर । इनमें से १, १० पत्र ६५ / २ (२) लोकप्रकाश, सर्ग १६, श्लोक ३०-३१ (१) 37 22 ३३-३४ 73 " " Jain Education International (४) ४८ (५) ३५ 13 21 (६) लोकप्रकाश सर्ग १६ श्लोक ३६ ( ७ ) लोकप्रकाश सर्ग १६ श्लोक ४४ " ". 21 33 " For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001854
Book TitleTirthankar Mahavira Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1960
Total Pages436
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, Story, N000, & N005
File Size20 MB
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