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टप्पणि
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मोरियसन्निवेश – इसका नाम बौद्ध ग्रन्थों में मोरियग्गाम मिलता है । उसमें कथा आती है कि, जब प्रसेनजित के पुत्र विडूडभ ने शाक्यों को भगाया तब उन लोगों ने इस नगर को बसाया था । ( महावंस टीका, सिंहलीसंस्करण, पृष्ठ ११६ - १२१) । यह जंगल में एक जलाशय के तट पर स्थित था और इसके चारों ओर पीपल के वृक्ष थे ।
ऐसा माना जाता है कि, अशोक का पितामह चन्द्रगुप्त मौर्य वंश का था । पहले मौर्यों की राजधानी पिप्पलीवन थी । जहाँ वह स्थान था, वहाँ मयूरों का आधिक्य था और उनकी बोली प्रायः सुनने को मिलती थी । ( वही, )
पिप्पलीवन के ये मौर्य भी बुद्ध के निधन के बाद अस्थि माँगने गये थे । उन्हें अंगार दिया गया था और उस पर उन लोगों ने स्तूप बनाया था । '
आवश्यक-कथा में भी चन्द्रगुप्त का मूल स्थान मोरियग्गाम बताया गया है । वहाँ मोरपोसग लोग रहते थे - ऐसा उल्लेख जैन ग्रन्थों में मिलता है ।
डाक्टर हेमचन्द्र रायचौधुरी ने अपनी पुस्तक 'पोलिटिकल हिस्ट्री आव ऐंशेंट इंडिया' (पाँचवाँ संस्करण, पृष्ठ १६४ ) में लिखा है -
" (मौर्य) को शाक्य वंश का कहा जाता है। पर, अधिक पुराने संदर्भ दोनों में भेद करते हैं । एक मत यह है कि यह मौर्य शब्द 'मोर' से बना है । जहाँ वे रहते थे, उसके चारों ओर मोर बोला करते थे ।
यह पिप्पलीवन वही है, जिसे हह्वान्च्वांग ने न्यग्रोधवन कहा है और
१- दीघनिकाय, हिन्दी अनुवाद, पृष्ठ १५० ।
२ - राजेन्द्राभिधान कोष, भाग ६, पृष्ठ ४५३ ।
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३.
- उत्तराध्ययन नेमिचन्द्र की टीका, पत्र ५७-२ ।
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परिशिष्ट पर्व (द्वितीय संस्करण) सर्ग ८, श्लोक २२६ - २३०, पृष्ठ २१५
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