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परिशिष्ट ३
गणधर
भगवान् महावीर के ११ गणधर ( मुख्य शिष्य ) थे । १ इन्द्रभूति २ अग्निभूति, ३ वायुभूति, ४ व्यक्त, ५ सुधर्मा, ६ मंडिक, ७ मौर्यपुत्र, अचल भ्राता, १० मेतार्य, ११ प्रभास' । उनके विवरण इस
अकम्पित, प्रकार हैं :
इन्द्रभूति - पिता का नाम वसुभूति, माता का नाम- पृथ्वी; गोत्र- गौतम ; जन्म - नक्षत्र - ज्येष्ठा ; जन्मस्थान- गोबर ग्राम (मगध ); गृहस्थ जीवन ५० वर्ष दीक्षा - स्थान - मध्यमपावा; शिष्य - संख्या - ५००; अकेवलिकाल - ३० वर्ष, केवलि - पर्याय - १२ वर्ष, सर्वायु- ६२ वर्ष निर्वाण - काल - वीर - केवलोत्पत्ति के ४२ वर्ष के बाद; निर्वाण स्थान वैभारगिरि (राजगृह)
अग्निभूति - पिता का नाम - वसुभूति; माता का नाम - पृथ्वी; गोत्र - गौतम, जन्म-नक्षत्र कृतिका ; जन्म-स्थान - गोबर ग्राम ( मगध ) ; गृहस्थजीवन - ४६ वर्ष; दीक्षा-स्थान-मध्यम पावा; शिष्य संख्या - ५००; अकेवलि - काल - १२ वर्ष; केवलिपर्याय - १६ वर्ष; सर्वायु - ७४ वर्ष; निर्वारण-कालवीर केवलोत्पत्ति से २८ वर्ष बाद; निर्वाण-स्थान - वैभारगिरि ( राजगृह ) ।
वायुभूति - पिता का नाम - वसुभूति; माता का नाम - पृथ्वी ; गोत्र
१ - पढमित्थ इंदभूई, बिइओ उण होइ अग्गिभूइत्ति । तइए य वाउभूई, तओ वियत्ते सुहम्मे य ॥ ५९४ ॥ मंडियमोरियपुत्ते, अकंपिए चेव अयलभाया य । मेयज्जे य पभासे, गरगहरा होंति वीरस्स || ५६५ ॥
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- आवश्यक निर्युक्ति दीपिका, प्रथम भाग, पत्र ११५-२
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