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________________ (३४७) "..........गोयमा ! पाणामाए णं पव्वज्जाए पव्वइए समाणे जं जल्थ पाइस इंदं वा खंदं वा रुदं वा सिवं वा वेसमरणं वा अज्ज वा कोट्टकिरियं वा रायं वा जाव सत्थवाहं वा कागं सारणं वारणं वा पारणं वा उच्च पासइ उच्चं पणामं करेइ नीयं पासइ नीयं परणामं करेइ, जं जहा पासति तस्स तहा परणामं करेइ......। - इस सूत्र में १ इन्द्र, २ स्कन्द, ३ रुद्र, ४ शिव, ५ कुवेर, ६ आर्या पार्वती, ७ महिषासुर, ८ चण्डिका, ६ राजा से लेकर सार्थवाह तक १० कौआ, ११ कुत्ता, १२ चाण्डाल आदि को प्रणाम करने की बात कही गयी है। भगवती सूत्र (शतक ६, उद्देसा ६, सूत्र ३८३, पत्र ८४६-२) में एक स्थल पर और देवी-देवताओं की चर्चा मिलती है : ".........किन्नं अज्ज खत्तियकुँडग्गामे नगरे इंदमहेइ वा खंदमहेइ वा मुगुंदमहेइ वा णागमहेइ वा जक्खमहेइ वा भूयमहेइ वा कूवमहेइ वा तडागमहेइ वा नईमहेइ वा दहमहेइ वा पव्वयमहेइ वा रुक्खमहेइ वा चेइयमहेइ वा थूभमहेइ वा जण्णं एए वहवे उग्गा भोगा राइन्ना इक्खागा णाया कोरव्वा खत्तियपुत्ता भडा भडपुत्ता जला उववाइए जाव सत्यवाहप्पभिइए व्हाया कयबलिकम्मा जहा उववाइए जाव निग्गच्छंति ?,........." इसमें १ इन्द्रमह, २ स्कन्दमह, ३ मुकुन्दमह, ४ नागमह, ५ यक्षमह, ६ भूतमह, ७ कूपमह, ८ तडागमह, है नदीमह, १० द्रहमह, ११ पर्वतमह १२ रुद्रमह, १३ चैत्यमह, १४ स्तुपमह का वर्णन है। निशीथचूणि में एक स्थल पर निम्नलिखित महोत्सवों के उल्लेख मिलते हैं :____ पिंडनियरेसु वा इंदमहेसु वा खंदमहेमु वा रुद्दमहेसु वा मुगुंद-महेसु वा भूतमहेसु वा जक्खमहेसु वा णागमहेसु वा थूभ-महेसु वा चेइयमहेसु वा रुक्ख-महेसु वा गिरि-महेसु वा दरिमहेसु वा अगड-महेसु वा तड़ाग-महेसु वा दह-महेसु वा गादि-महेसु वा सर-महेसु वा सागर-महेसु वा आगर• महेसु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001854
Book TitleTirthankar Mahavira Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1960
Total Pages436
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, Story, N000, & N005
File Size20 MB
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