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________________ दीनार 'उक्त देवदृष्य का मूल्य १ लाख दीनार होगा' - इस उक्ति के समर्थन हम नीचे कुछ प्रमाण दे रहे हैं: में (१) दीनार लक्षं मूल्येऽस्य भविष्यति विभज्य तत् । -त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र, पर्व १०, सर्ग ३, श्लोक १४, पत्र१९-२ । दीणार सय सहस्सं लहिही तं विक्कयम्मि तो तुझं । - महावीरचरियं नेमिचन्द्र सूरि-रचित, पत्र ३७ – १, गाथा ६७ । पडिपुराणं व दीणार लक्ख मुल्लं ........। - श्रीमहावीर चरित्रम् ( प्राकृत) गुरणचन्द्र गणि रचित, पत्र १४४ - १ । जैन आगमों में 'दीनार' शब्द अन्य प्रसंगों में भी आता है । जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सटीक ( पूर्व भाग ) पत्र १०५ - २ में तथा जीवाजीवाभिगम् सूत्र सटीक पत्र १४७ - २ में कल्पवृक्षों के प्रसंग में दीणारमालिया शब्द आया है । कल्पसूत्र में स्वप्न के प्रसंग में जहाँ लक्ष्मी का वर्णन आता है, वहाँ भी 'दीगारमाल' शब्द आया है (सूत्र ३६, सुबोधिका टीका, पत्र ११६ ) । मालिका के इन प्रसंगों में 'दीगार' शब्द का स्पष्ट उल्लेख है । wwwwwd वृहत्कल्पसूत्र सटीक तथा सभाष्य ( द्वितीय विभाग, पृष्ठ ५७४ ) में दीगार के सम्बन्ध में निम्नलिखित उल्लेख अ:या है: पूर्वदेशे दीनारः । अर्थात् दीनार पूर्व देश का सिक्का था । आवश्यक की हारिभद्रीय टीका में पत्र १०५ - १ में तथा ४३२ - १ पर तथा आवश्यक निर्यक्ति दीपिका प्रथम विभाग ) में ( पत्र १०३ - १ ) भी दीगार शब्द आया है । " Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001854
Book TitleTirthankar Mahavira Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1960
Total Pages436
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, Story, N000, & N005
File Size20 MB
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