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________________ (१५१) www.com 'ग्रामायारा विषया' पर दीपिकाकार श्रीमाणिक्य शेखरसूरि लिखते हैं" ग्राम्याचारा विषया उच्यन्ते । ते कुमारवर्जितैर्जिनैर्निषेविताः । कुमारौ च मल्लिनेमी । गामायारशब्देन वा अथवा ग्रामाचारो विहार उच्यते, स केषु ग्रामनगरादिषु कस्य बभूव ॥२३३॥ - श्री आवश्यकनिर्युक्ति दीपिका, प्रथम भाग, पत्र ६४ । १ । इन्होंने भगवान् महावीर का नामोल्लेख नहीं किया है । कामता प्रसाद जैन ने अपनी पुस्तक 'भगवान् महावीर' (द्वितीय आवृति) में पृष्ठ ७९, ८०, ८१ की पादटिप्पणी में साम्प्रदायिक ढंग की कुछ अनर्गल छींटाकशियाँ कीं हैं । उसमें उन्होंने कुछ ऐसी बातें भी लिख डाली हैं, जो पूर्णतः अशुद्ध और मिथ्या हैं । उस टिप्पणी का एक वाक्य है - " उस पर खास बात यह है कि स्वयं श्वेताम्बरीय प्राचीन ग्रन्थों जैसे 'कल्पसूत्र' और 'आचारांग सूत्र' में भगवान् महावीर के विवाह का उल्लेख नहीं है ।" हम ऊपर उन ग्रन्थों के मूल प्रमाण दे आये हैं । अतः इस सम्बन्ध में हम यहाँ कुछ नहीं कहना चाहते । 'आवश्यक निर्युक्ति' की जो उनकी शंका है, भी हम ऊपर समाधान कर आये हैं । उसका उन्होंने लिखा है- "प्राचीन आचार्यों की नामावली, चूणि और टीकाओं में विवाह की बात बढ़ायी गयी, सम्भवतः दिखती है ।" यहाँ हम केवल इतना मात्र कहना चाहते हैं कि, जब मूल कल्पसूत्र में 'भारिया जसोया कोडिण्णा गुत्तेर्ण' स्पष्ट लिखा है कि उनकी पत्नी का नाम यशोदा था, तब फिर विवाह की शंका उठाना सर्वथा अनर्गल है । आपने अपनी उसी टिप्पणी में लिखा है- "श्वेताम्बर लोगों ने बुद्ध की जीवन कथा के आधार पर महावीर स्वामी की कथा का निर्माण किया ।" अपने इस कथन की पुष्टि के लिए जो बातें कामताप्रसाद ने कहीं हैं, उनमें एक बात यह भी कही है - "बौद्ध कहते हैं कि गौतम ने यशोदा को ब्याहा; श्वेताम्बर भी लिखते हैं कि महावीर ने यशोदा से विवाह किया था ।" 'यशोदा' नाम साम्य की बात कामताप्रसादजी के मन में कैसे आयी, यह नहीं कहा जा सकता; जब कि स्वयं कामताप्रसादजी ने अपनी उसी पुस्तक For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.001854
Book TitleTirthankar Mahavira Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1960
Total Pages436
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, Story, N000, & N005
File Size20 MB
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