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(७२) ईंटों का बना है और आस-पास के खेतों से २३ फुट ८ इंच ऊँचा है। धरती पर इसका व्यास १४० फुट है। चीनी यात्रियों ने इसकी चर्चा नहीं की है। स्त्प के किनारे खोदने पर, मध्य युग के, सुन्दर काम किये, प्रस्तर के दो स्तम्भ मिले हैं।
गढ़ से पश्चिम की ओर बावन पोखर के उत्तरी भीटे पर एक छोटासा आधुनिक मन्दिर है। वहाँ बुद्ध, बोधिसत्त्व, विष्णु, हर-गौरी, गणेश, सप्तमातृका एवं जैन-तीर्थङ्करों की कितनी ही खण्डित मध्यकालीन मूर्तियाँ प्रास हुई हैं।
इन मूर्तियों के अतिरिक्त यहाँ जो अत्यन्त महत्वपूर्ण चीज मिली है, वह राजाओं, रानियों तथा अन्य अधिकारियों के नाम सहित सैकड़ों मुद्राएं हैं । इन में से कुछ मुद्राओं पर निम्नलिखित आलेख उत्कीर्ण हैं :१ महाराजाधिराजश्रीचन्द्रगुप्त-पत्नी महाराजश्रीगो
विन्दगुप्तमाता महादेवी श्री ध्रुवस्वामिनी। -महाराज श्री चन्द्रगुप्त की पत्नी, महाराज श्री गोविन्दगुप्त की माता महादेवी ध्रुवस्वामिनी।
२ युवराज भट्टारक-पादीय वलाधिकरण। -माननीय युवराज की सेना का कार्यालय । - ३ श्री परमभट्टारक पादीय कुमारामात्याधिकरण । -राजा की सेवा में लीन कुमार के मंत्री का कार्यालय ।
४ दण्डपाशाधिकरण। -दण्डाधिकारी का कार्यालय।
५ तीरभुक्त्युपरिकाविकरण । --तिरहुत ( तीरभुक्ति ) के राज्यपाल का कार्यालय ।
६ तीरभुक्तौ विनयस्थितिस्थापकाधिकरण। -तिरहुत (तीरमुक्ति) के समाचार-संशोधक का कार्यालय ।
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