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________________ --१.२०] दृष्टान्त यद्यपि विपरीते हेतोः अत्रिरूपत्वम् असत्प्रतिपक्षत्वं, तच्च विपक्ष असत्त्वात् नार्थान्तरम् । हेतोः विपक्षे असत्वनिश्चये साध्यविपरीते अत्रिरूपत्वं निश्चितमिति । तथापि श्रोतृणां व्युत्पत्त्यर्थ पृथक् निरूपणम् ॥ [२०. दृष्टान्तः] ___ दृष्टौ अन्तौ साध्यसाधनधर्मों तदभावौ वा वादिप्रतिवादिभ्याम् अविगानेन यस्मिन् धर्मिणि स दृष्टान्तः । स च अन्वयो व्यतिरकश्चेति द्वेधा। साधनसद्भावे साध्यसद्भावो यत्र प्रदर्श्यते सोऽन्वयदृष्टान्तः। यो यः कृतकः स सर्वोऽप्यनित्यः यथा घटः इति । साध्याभावे साधनाभावो यत्र वीक्ष्यते स व्यतिरेकदृष्टान्तः। यद् यदनित्यं न भवति तत् तत् कृतकं न भवति यथा व्योमेति ॥ करना वह असिद्धसाधनत्व नामका चौथा गुण है। जिस पक्ष में साध्य बाधित न हो उस में हेतु का होना अबावितविषयत्व नाम का पांचवा गुग है। यद्यपि साध्य के विरुद्ध पक्ष में हेतु के तीन रूप (पक्षवर्मत्व, सपक्ष-सत्त्व तथा विपक्षे असत्त्व ) न होना यही असत्प्रतिपक्षत्व नामका छठा गुण है तथा यह विपक्ष में अभाव इस तीसरे गुण से भिन्न नहीं है, विपक्ष में हेतु का अभाव निश्चित होनेसे ही साध्य के विरुद्ध पक्ष में हेतु के तीन रूप न होना निश्चित हो जाता है, तथापि श्रोताओं को स्पष्ट रूप से समझानेके लिए इसे अलग गुण के रूप में बतलाया है । दृष्टान्त वादी और प्रतिवादी दोनों की मान्यता से जिस धर्मी में दो अन्त अर्थात् साध्यधर्म और साधनधर्भ देखे जाते हैं अथवा साध्यधर्म और साधनधर्म का अभाव देखा जाता है उस धर्मी को दृष्टान्त कहते हैं। उस के दो प्रकार हैं - अन्वय दृष्टान्त तथा व्यतिरेक दृष्टान्त । जिस में साधन के होनेपर साध्य का होना बतलाया जाय उसे अन्वय दृष्टान्त कहते हैं। जैसे-जो जो कृतक होता है वह सभी अनित्य होता है जैसे घट ( यहां घट इस दृष्टान्त में कृतकत्व यह साधनधर्म है तथा अनित्यत्व यह साध्य धर्म है इन के अन्यय के कारण यह अन्वय दृष्टान्त है)। साध्य के न होने पर साधन का न होना जिस में देखा जाय वह व्यतिरेक दृष्टान्त है । जैसे-जो जो अनित्य नहीं होता www.jainelibrary.org For Private & Personal Use Only Jain Education International
SR No.001853
Book TitlePramapramey
Original Sutra AuthorBhavsen Traivaidya
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherGulabchand Hirachand Doshi
Publication Year1966
Total Pages184
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Epistemology, & Philosophy
File Size10 MB
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