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विषय-परिचय .. ओघ,प्रथमनरक वगेरे,तेम तियंचओघ वगेरे ते तेमार्गणाओवर्ती जीवोनी)अपेक्षाए जघन्य-ओछामां ओछु अने उत्कृष्ट वधारेमां वधारे केटलुते,तथा ते जघन्य के उत्कृष्ट स्थितिवन्धना स्वामी बन्धक, ते जघन्य अने उत्कृष्ट तथा तेना प्रतिपक्षी अजघन्य अने अनुत्कृष्ट एम चार प्रकारमाथी एक एक प्रकारनो स्थितिबन्ध 'सादि छे, अनादि छ, 'सान्त छे के अनन्त छे ते रूप साद्यादिनी, तथा काळ, अन्तर अने संनिकर्षनी एक जीवाश्रयी स्थितिबन्धप्रमाणादि ते ते द्वारोथी तथा उत्कृष्टादि स्थितिवन्धना नानाजीवाश्रय भंगविचय वगेरेनी भंगविचयादि ते ते द्वारोथी विचारणा करवामां आवी छे. ते द्वारोना नाम आ प्रमाणे छे:
(१) स्थितिबन्धप्रमाण, (२) स्वामित्व, (३) साद्यादि, (४) काळ, (५) अन्तर, (६) संनिकर्ष, (७) भङ्गविचय, (८ ) भाग, (९) परिमाण, (१०) क्षेत्र, (११) स्पर्शना (१२) काळ, ( १३ ) अन्तर, (१४ ) भाव अने (१५) अल्पबहुत्व.
स्थितिबंधप्रमाण द्वारमां-उपर कही गया तेम कर्मरूपतावस्थानलक्षण स्थितिवन्धने आश्रयी ओघथी अने १७० मार्गणास्थानोमांगुणस्थानको,लेश्याओ, एकेन्द्रियादि जातिओ, पर्याप्तअपर्याप्तत्वादि अवस्थाओ, उपशमश्रेणि, क्षपकश्रेणि वगेरेमा वर्तमान जीवोना समावेश असमावेशना आधारे प्राप्तथता उत्कृष्ट तथा जघन्य स्थितिवन्धन प्रमाण बतावी टीकाग्रन्थमां शास्त्रान्तरनी साक्षीओ अने युक्तिओ पूर्वक विवेचन करवामां आव्यु छे. अने द्वारने अन्ते मार्गणास्थानोनु यन्त्र बतावी उत्कृष्टादि स्थितिबन्धप्रमाणनां पण यन्त्रो बतावयामां आव्यां छे. आ रीते आगळ पण ते ते द्वारोने अन्ते द्वारमा आवेला पदार्थो यन्त्रोमा संकलित करवामां आव्या छे.
बीजा स्वामित्व द्वारमां-ओपथी अने आदेशथी पहेला स्थितिबन्धप्रमाणद्वारमां कहेला जघन्य उत्कृष्ट स्थितिबन्धने करनारा जीवो कया अने केवा होय एरूप स्वामिओनु (बन्धकोनु) प्रतिपादन करवामां आव्यु छे. दा० त० ओपथी साकारउपयोगमा रहेला निद्रा वगरना जे कोई पर्याप्तसंज्ञिपञ्चेन्द्रिय जीवो कषायोदयजन्य उत्कृष्टसंक्लेशमां के तेथी कईंक मन्दसंक्लेशमां वर्तता होय ते आयुष सिवाय सात कर्मनी उत्कृष्टस्थितिना बन्धक छे.
त्रीजा साद्यादि द्वारमां-ओपथी अने आदेशथी १७० मार्गणास्थानोमां एक एक मूलप्रकृतिना उत्कृष्ट, * अनुत्कृष्ट, जवन्य अने । अजघन्य एम चार प्रकारना स्थितिबन्धमांथी एक एक प्रकारनो स्थितिबंध एकजीवने आश्रयी सादि छे ? अनादि छे ? सान्त छ? के अनन्त छे.? ए विचारवामां आव्यु छे अने ते ते स्थितिबन्ध सादि अनादि वगेरे भांगे छे तो केवी रीते छे ? नथी तो केम नथी ? वगेरे बताववा साथे कुल भांगा बतावी अन्ते एनु यंत्र आलेख्यु छे.
Aकुल १७४ मार्गणाओ अधिकृत होवा छतां अकषाय, केवलज्ञान,केवलदर्शन अने यथाख्यातसंयम मार्गणामां स्थितिबन्ध ज न थतो होवाथी ते ४ मार्गणा सिवायनी १७० मार्गणाओ समजवी.
* अनुत्कृष्ट एटले उत्कृष्ट सिवायनो स्थितिबन्ध. - अजघन्य एटले जघन्य सिवायनो स्थितिबंध .
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