________________ चिंतौन = चिन्तवन, विचार / 661 | जात-सं० यात्रा, देवदर्शनके लिए चितेरा = चित्रकार / 29 जाना, देवस्थानपर होनेवाला मेला। चिनालिया - श्रीमाल जातिका ____228-230 एक गोत / 39 जाव-जीव-यावज्जीव, जीवनभरके चिरी = चिड़िया, चिरैया। 194 | लिए। . 275 चूनी = चुन्नी, एक तरहका रत्न / जिन-जनमपुरि-नाम-मुद्रिका पार्श्वनाथ 172, 355 जिनकी जन्मनगरी बनारसीके चौबिहार = खाद्य, स्वाद्य, लेह्य और नामकी मुद्रिका जिसने धारण पेय, इन चार तरहके आहारोंका की, अर्थात् जिसका नाम बनारसी त्याग। जेम-जैसे / एम ऐसे, केम कैसे / ये छप्परबंध = मकानोंके छप्पर छाने शब्द गुजरातीमें इसी अर्थमें प्रयुक्त सुधारनेवाला / 29 होते हैं। . 37-42 छरछोबी = पाखाना, बुन्देलखंडमें छाबछोरी कहते हैं / 211 टक-टोहे-देखे, तलाशी ली। 509 छरे = छड़े, एकाकी, अकेले, टेरै-पुकारै। 120 खाली। 309 टोइ टोहि, खोजकर, टटोलकर / 317 जन्छ= यक्ष / प्रत्येक तीर्थकरके सेवक ठठेरा = ताँबे, पीतल, काँसेके बरतन कुछ यक्ष होते हैं, उनमेंसे पार्श्व ___ बनानेवाला, तमेरा, कसेरा / सं० नाथका यक्ष / एक जातिका व्यन्तर तष्टकार। 29 जड़िया नग जड़नेका काम करनेवाला। ठाउं-स्थान, सं० स्थाम / 21 ठाहर जगह, ठहरनेका स्थान / 303 जलाल-तेज, प्रकाश, प्रभाव / अक बरका विशेषण, जलाल-उद्-दीन, | ढोर = श्रीमालोंका एक गोत / पद्य . धर्मका प्रकाश। 257 592 में इसी गोत्रके अरथमलका जहमति- ( अरबी ) जहमत, विपत्ति, उल्लेख है / बीमारी। 205 ढोवनी = ढोनेवाली। 155 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org