________________ पुणधरवाद को गाथाएँ 243 [6] *ते पावइते सोतु अयलभाता आगच्छती जिणसगासं। वच्चामि ण वंदामि वंदित्ता पज्जुवासामि / / 1605 / / *प्राभटठो य जिणं जाइ-जरा-मरणविप्पमक्केणं / णामेण य गोत्तण य सव्वण्णू सव्वदरिसी णं / / 1606 / / *किं मण्णे पुण्ण-पावं अत्थि व णत्थि त्ति संसयो तुझं / वेतपताण य अत्थं ण याणसी तेसिमो अत्थो / / 1607 // मण्णसि पुण्णं पावं साधारणमधव दो वि भिण्माइं / होज्ज ण वा कम्म चिय सभावतो भवपपंचोऽयं / / 1608 / / पुण्णुक्करिसे। सुभता तरतमजोगावकरिसतो हाणी / तस्सेव खये मोक्खो पत्थाहारोवमाणातो / / 1606 / / पावक्करिसेऽधमता तरतमजोगावकरिसतो सुभता / तस्सेव खये मोक्खो अपत्थभत्तोवमाणातो / / 1610 // साधारणवण्णादि व अध साधारणमधेगमत्ताए। उक्करिसावकरिसतो तस्सेव य पुण्णपावक्खा / / 1951 एवं चिय दो भिण्णाई होज्ज होज्ज व सभावतो चेव / भवभूती भण्णति ण सभावतो जतोऽभिमतो / / 1912 / / होज्ज सभावो वत्थुणिक्कारणता व वत्थुधम्मो वा / जति वत्थु रात्थि तोऽणुवलद्धीतो खपुप्फं व / / 1613 // अच्चंतमणुवलद्धो वि अध तो अस्थि गत्थि किं कम्म / हेतू व तदत्थिते जो णणु कम्मस्स वि स एव / / 1614 / / कम्मस्स वाभिधाणं होज्ज सभावो त्ति होतु को दोसो। पतिणियताकारातो ण य सो कत्ता घडस्सेव // 1615 // मुत्तोऽमुत्तो व तो जति मुत्तो' तोऽभिधाणतो भिण्णो। 'कम्मं ति सहावो त्ति य जति वाऽमुत्तो ण कत्ता तो / / 1616 / / 1. -करिसे म०। 2. पच्छा ता० / 3. अपच्छ-ता० / 4. -भिमतं ता० / 5. यह गाथांक 1786 पर पहले भी आ चुकी है। 6. मुत्ता तो ता! ?. कम्म ति म * को। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org