________________ मनधरवाद की गाशाएं 239 पडणं पसत्तमेवं थाणातो तं च यो जतो छट्ठी इध कत्तिलक्खरपेयं कत्तुरगत्यंतरं थारणं // 1856 // गभरिणच्चत्तणमोचा थाणविणासपतणं ण जुत्त से। तध कम्माभावातो पुणक्कियाभावतो वा वि // 1857 / / गिच्चत्थारणातो वा वोमातीणं पडणं पसज्जेज्जा / प्रध ण मतमरणेमंतो थारणवतोऽवस्सपडणं ति // 1858 / / भवनो सिद्धो त्ति मती तेरगातिमसिद्धसंभवो जुत्तो। कालागातित्तगतो पढमशरीरं व तदजुत्त // 1856 / / परिमियदेसेऽरपंता किध माता मतिविरहितत्तातो। रिपेयम्मि व णाणाई दिट्ठीग्रो वेगरूवम्मि 18605 ण ह वइ ससरीरस्स प्पियाप्पियावहतिरेवमादीम्। वेतपदाणं च तुमं रण सदत्थं मुरमसि तो संका / / 18611 तुह बंधे मोक्खम्मि य सा य ण कज्जा जतो फुडो चेव / ससरीरेतरभाषो गणु जो सो बंध-मोक्खो त्ति / / 1862 / / *छिण्णम्मि संसयम्मि जिणेण जरमरणविप्पमुक्केणं / सो समणो पब्वइतो अद्धठेहि सह खंडियसतेहिं / 18633 *ते पच्वइते सोतुं मोरियो आगच्छतो जिणसगास / बच्चामि रण वंदामि वंदित्ता पज्जुवासामि // 1864 / / *आभट्ठो य जिरणेस जाइ-जरा-मरणविप्पमुक्केणं / णामेण य गोत्तण य सव्वण्णू सव्वदरिसी णं // 1865 // *कि मण्णे अस्थि देवा उदाह पत्थि त्ति संसयो तुझं / वेतपताण य अत्थं ण यारणसी तेसिमो प्रत्थो // 1866 / / तं मण्णसि रइया परतंता दुक्खसंपउत्ता' य / ण तरंति इहायंतु सद्धेया सुब्वमारणा वि / / 1817 / / 1. णियम्मि मु०। 2. प्पियामि // 3. अद्ध छौंह को०; अद्ध टिहिं मु० / 4. खंपतत्वा ता०॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org