________________ गणधरवाद की गाथाएँ 235 तं मण्णसि जति बंधो जोगो जीवस्स कम्मणा समयं / पुव्वं पच्छा जीवो कम्म व समं व ते होज्जा // 1805 / / ण हि पुव्वमहेतूतो खरसिंगं वातसंभवो जुत्तो। रिपक्कारगजातस्स य रिणक्कारगतो च्चिय विणासो // 1806 // अधवाणाति च्चिय सो णिक्कारणतो ण कम्मजोगो से / अह रिणक्कारणतो सो मुक्कस्स वि होहिति स भुज्जो // 1807 / / होज्ज व स णिच्चमक्को बंधाभावम्मि को व से मोक्खो। ण हि मुक्कव्ववदेसो बंधाभावे मतो गभसो / / 1808 / / ण य कम्मस्स वि पुव्वं कत्तुरभावे समुब्भवो जुत्तो। णिक्कारणतो सो वि य तध जुगवुप्पत्तिभावो य // 1809 / / ण हि कत्ता कज्ज ति य जुगप्पत्तीय जीवकम्माणं / जुत्तो ववदेसोऽयं जध लोए गोविसाणाणं / / 1810 / / होज्जारणातीयो वा संबंधो तध वि ण घडते मोक्खो। जोऽणाती सोऽयंतो जीव-रणभारणं व संबंधो // 1811 // इय जुत्तीय ण घडते सुव्वति य सुतीसु बंधमोक्खोऽत्ति / तेण तुह संसपोऽयं ग य कज्जो यं जधा सुणसु // 1812 / / संताणोऽणातीमो परोप्परं हेतुहेतुभावातो। देहस्स य कम्मस्स य मंडिय ! बीयंकुराणं व // 1813 / / अत्थि स देहो जो कम्मकारणं जो य कज्जमण्णस्स। कम्मं च देहकारणमत्थि य जं कज्जमण्णस्स // 1814 // कत्ता जीवो कम्मस्स करणतो जध घडस्स घडकारो। एवं चिय देहस्स वि कम्मकरणसंभवातो त्ति // 1815 / / कम्मं करणमसिद्ध व ते मती कज्जतो? य तं सिद्ध। किरियाफलदो य पुणो पडिवज्ज तमग्गिभूति व्व // 1816 / / जं संताणोणाती तेणाणतोऽवि णायमेगंतो। दीसति संतो वि जतो कत्थति बीयंकुरादीणं // 1817 / / 1. अवि ता० / 2. होज्ज स मु०। 3. -भावे य मु० को०। 4. कम्मजीवाणं ता० / 5. सुतीए को० 6. मोक्खा त्ति मु०। 7. कज्जतो तयं सिद्धं मु० को। 8. कत्थइ मु० को०। 9. -कुराइणं मु० को०-दीपं व ता० / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org