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अनेक जैन ज्ञान भण्डारों के उद्धारक और दुर्लभ सामग्री के संशोधक तथा जैनपरम्परा एवं शास्त्रों के सुज्ञाता मुनि श्री पुण्यविजयजी को मैंने मुद्रित पृष्ठों का अवलोकन कर योग्य एवं आवश्यक सूचनाएं प्रदान करने का अनुरोध किया था। उन्होंने सहृदयता के साथ समग्र प्रस्तावना देखने के पश्चात् जो सूचनाएं दी थीं उनको मैंने 'वृद्धिपत्र' शीर्षक से प्रदान की हैं जो टिप्पणियों के पश्चात् मुद्रित की गई हैं ।
-सुखलाल
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