________________
तत्त्वानुशासन
७१
(मुनिसुव्रत
नमिम्मा
ही चन्द्रप्रभ पुस
नमः
| ॐ ह्री पदमप्रभ वासपून्याभ्यां नमः
Pink
१ अभिनन्द
बल अना
सुमति शीतल श्रेयो विमल
ॐ ही सुपार्श्व पाश्र्वाभ्यां नमः
कुंथुन
धर्म शान्ति
CHEtery
मल्लि
इस ह्रीं बीजाक्षर में समस्त वृषभादि चौबोस जिनोत्तम अर्थात् तीर्थंकर अपने वर्षों से सहित होकर विराजमान हैं। यथा ह्रीं बीजाक्षर की नादकला चन्द्रमा के आकार की है, सफेद वर्णवाली है इस नादकला में श्वेत वर्ण वाले चन्द्रप्रभ पूष्पदन्त भगवान् का ध्यान करें। बिन्दु श्याम वर्ण की है इसमें श्याम वर्ण मुनिसुव्रत-नेमिनाथ भगवान् का ध्यान करें। कला अर्थात् मस्तक लाल रंग की है इसमें लालवर्ण पद्मप्रभ-वासुपूज्य तीर्थंकर का ध्यान करें। हकार सब तरफ से स्वर्ण के समान पीत वर्ण का है इसमें पोतवर्ण वृषभ-अजित-संभव-अभिनंदन-सुमति-शीतल-श्रेयांस-विमल
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org