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ओळ
अशुद्ध
५६
मित्युतेरं तयुक्तं विपाका तान्त्रिरूपम अलिंग उपसहार अधिकार ८
शुध्द मित्युत्तरं तदयुक्तं विपाकाच्च तन्निरुपम अलिगं उपसंहार अधिकार ९
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५९
श्रद्धाधाना सधना ज्ञानाति ज्ञानाति त्रययात्मैव अभे
श्रद्धाना साधना जानाति जानाति त्रयमात्मैव अभेद
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