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२६४
चत्त
२५५
(८) पृष्ठसंख्या
पृष्ठसंख्या आहारकी अपेक्षासे प्रायश्चित्त २५२ जीवके मंद मध्यमादि भावोंके गर्व करनेवालाभी प्रायश्चित्ताह है २५२ अनुसार प्रायश्चित्तके कोमल प्रायश्चित्तके दशभेद २५३
तीव्रादि भेद २६२ दीक्षाच्छेद कब किया जाता है ? २५३-२५४
____ ग्यारहवा परिच्छेद २६३-२७८ पारञ्चिक प्रायश्चित्त
२५५ क्षेत्रकालादिकोंकी अपेक्षासे
विनयतपके चार भेद प्रायश्चित्त वैयावृत्त्यके दशभेद
२६४-२६५ साधु, श्रावक, बालक आदिके
स्वाध्यायके भेदोंका कथन २६५-२६८ __ घातका प्रायश्चित्त २५६-२५७ ध्यानका लक्षण तथा उसके भेद २६८ असत्यभाषणादिकका प्रायश्चित्त २५७-२५८ आर्तध्यानके चार भेद २६८-२६९ मिथ्यादष्टिसे कलह करनेका
रौद्रध्यानके चार भेद
२६९-२७० प्रायश्चित्त २५८
धर्मध्यानके चार भेद
२७०-२७१ निद्रामेंसे उठाना आदि २५८
शुक्लध्यानके स्वामी और भेद २७२ ।। विषयोंमें प्रायश्चित्त
पृथक्त्ववितर्क शुक्लध्यानके व्यञ्जनसंघापराध प्रकट करनेवालेको
सङक्रान्त्यादिकका स्पष्टीकरण २७२-२७४ प्रायश्चित्त २५९
एकत्ववितर्कध्यानका विषयविवरण २७४ औद्देशिक प्रायश्चित्त तथा
सक्ष्म क्रियाप्रतिपातिध्यान २७५ मिथ्यात्वी साधुके साथ विहार
यथाख्यात चारित्र और मोक्षतत्त्वका करने का प्रायश्चित्त २५९
निरूपण २७५-२७६ शिलादिकोंमें सुत्र लिखकर
सिद्धपरमेष्ठीका स्वरूप २७६ पढनेका प्रायश्चित्त २५९
जिनमतका श्रद्धान संसारनाशका अश्रावकोंके यहां आहारका
कारण है २७७ प्रायश्चित्त २५९
समन्तभद्रका वचन मुक्तिका ज्ञानोपकरणादिकोंके निषेधका
कारण है २७७ प्रायश्चित्त २६० जिनशासनभक्तिसे इच्छितसिद्धि २७८ चाण्डालस्पर्शका प्रायश्चित्त
२६० जिनदीक्षाके अधिकारी
बारहवां परिच्छेद २७८-२९६
२६० वस्त्रप्रक्षालनका प्रायश्चित्त २६० आराध्य, आराधना तथा अर्हदादियतिके साथ अकीर्तिको प्राप्त हुई
पंच-परमेष्ठियोंका स्वरूप २७९-२८० आर्यिकाका नामभी ग्रहण न करे २६१ भव्यजीवका स्वरूप तथा उसकी रजस्वला आर्यिकाकी शुद्धि २६१
___ अनुप्रेक्षाचिन्तना २८०-२८२ स्नानके प्रकार
२६१
पण्डितपण्डित मरणादि पांच श्रावकके प्रायश्चित्त
२६१-२६२
मरणोंका विवरण २८२-२८३
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