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सिरिवालचरिउ
[२. ३३. ४उज्जवणहो सत्तिय णउँ पुज्जइ ता विवि उण वउ भविय करिज्जइ । इय आयण्णिवि सिरिमइ-कंते सिद्ध-चक्क-विहि लइय तुरंत । वरिस चारि संपुण्णु करेप्पिणु सिरिमइ-सरिसु विहाणु चरेप्पिणु । अंतयालि सण्णासु चरेप्पिणु पंच णमोयारइं झाएविणु। सग्गई होएप्पिणु पुणु चइयउ सो सिरिवाल-राय तुहुँ जइयउँ । सिरिमइ पुणु सग्गे हवेइ चुअ मयणासुंदरि तुह भज्ज हुअ । घत्ता-इय जाणि गरेसर महि-परमेसर सिद्ध-चक्क-विहि जो करहि ।
जो मुणिवर-भासिउ विवुह-पयासिउ भवसायरु लीलई तरहि ॥३३॥
पुणु पाउ वि जं कियउ भवंतरि तं सयलु वि मुच्चइ इत्थंतरि । इय जाणेविणु करि दुह-हरणउ धम्मु अहिंसा-लक्खणु सरणउ । णिसणेवि' सयल-धम्मु जग-सारउ मुणि वंदिउ तिगुत्ति वय-धारउ । सिरिवालें पुणु वउ उववासिउ 'णयरी-णयरी जण पडिहासिउ । वणिवर रायउत्त बहुजाणिय सिद्ध-चक्क विहि करवि' पहाणिय । वउ किउ अट्ठ-सहस-अंतेउर मणहर-पिंडवास-पय-णेउर । सुंदरि मंजूसा गुणमाला' चित्तलेह सुविलासिणिबाला । तहि जि सुहागगोरि सिंगारी पउलोमी पोमामण-हारी। अट्ठई बहिणि अंतेउर-सहियउ सव्वहिं सिद्ध-चक्क-वउ गहियउ। वउ लउ चित्त-विचित्त-कुमार पुणु सुकंठ-सिरिकंठ-भडारें। विजयसेण-गंदणहिँ सुलक्खण लउ सुसील गंधव्व-वियक्खण । ट्ठाणा-कोकण-कुँवर-गुणालें तहि हिरण्ण-बंधव हालें। मयर-केय-तणयहिं सुपियार जीवंती सुंदर सुकुमार। अंग-रक्ख सिरिवाल-पहाणा पुणु वउ लयउ सात-सय-राणा । उज्जेणी-पयपालु णरेसरु
तहि तउ सिद्धचक्कु परमेसरु । घत्ता-गृजरे मरहठ्ठहँ तह सोरट्ठहँ खस बब्बर वउ भावियउ । णर-णारि णिसंकहि इसरक्खहिमणवंछिउ सुहु पावियउ॥३४॥
३५ सिरिवाल वि जिण-सासण-भत्तउ चंपा-णयरिहि रज्जु करतउ । गय-घडाई हुअ बारह-सहसइ तेत्तिय वेसरि करह पयासइ । वारह-लक्ख तुरग-सपूरह
बारह-कोडिय पाइक- सूरहूँ । बारह-लक्खई सेणाणंदण
बारह-सहस अट्ठ-सय-णंदण |
१५
३. ग सत्तिवउ। ४. ग विउणउ। ५.ग करेप्पिणु। ६. ग झाएप्पिणु । ७. ग भइयउ।
८. ग सग्गहु हुति चुव । ३४ १. ग णिसुणिवि । २. ग णयर णायरीयहिं पडिहासिउ। ३. ग करहि। ४. ग णेवर । ५ ग
गुणमालहिं । ६. ग बालहिं । ७. ग दंसण सुह लक्खण। ८. गतिवि। ९. ग गुज्जर । १०. ग णिसंकहं। ११. ग ईसरक्खह।
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