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________________ विषय-सूची चम्पाके लिए कूच करना। (१५) दूतको वीरदवणके पास भेजना, वीरदवणकी आत्मप्रशंसा । (२०) दूत द्वारा श्रीपालकी प्रशंसा करना । (२१) बीरदवणका युद्धके लिए कूच करना। (२२) श्रीपालका भी कूच करना, दोनोंके मन्त्रियोंकी द्वन्द्वयुद्ध करनेकी मन्त्रणा करना । (२३ ) श्रीपाल व वीरदवणका द्वन्द्वयुद्ध करना। (२४) मल्लयुद्ध में वीरदवणका हारना और क्षमा माँगना । (२५) वीरदवणका तपश्चरणके लिए जाना, श्रीपालके दरबारमें नवपालका आना। (२६ ) दूत द्वारा संजय मुनिके आगमनकी खबर देना, श्रीपालका वहाँ वन्दनाके लिए जाना । (२७ ) श्रीपालका विश्वधर्मकी व्याख्या करने हेतु मुनिसे प्रार्थना करना, मुनि द्वारा वर्णन करना, श्रीपाल द्वारा मुनिसे कोढ़ी होने, समुद्र में फेंकने और मदनासुन्दरीको पानेका कारण पूछना। ( २८ ) मुनि द्वारा पूर्व जन्मके कर्मोका गिनाना। ( २९ ) श्रीपाल द्वारा पूर्वजन्ममें मुनियोंकी निन्दा करनेसे कोढ़ी होना, डोम कहलाना। (३०) पूर्वजन्ममें श्रीपालकी पत्नी द्वारा श्रीपालकी निन्दा, श्रीपाल द्वारा जिनधर्म ग्रहण करना, मुनिके पास जाना, मुनि द्वारा सिद्धचक्र विधानका महत्त्व बताना । ( ३१ ) सिद्धचक्र विधि करनेकी विधि श्रीपाल द्वारा पूछना और मुनि द्वारा बताना । (३२) सिद्धचक्र विधानसे मनचाहा फल मिलता है, सिद्धचक्र विधिसे ज्ञान और निर्वाण प्राप्ति होनेका मुनिवर द्वारा बताना । ( ३३ ) मुनि द्वारा उद्यापनकी विधि बताना । ( ३४ ) श्रीपाल द्वारा व्रत करना व नगरमें उसका प्रचार करना, उसके साथ अन्तःपुर, मौभाग्यगौरी, व अन्य कुमारों द्वारा व्रत करना। (३५) श्रीपालका चम्पानगरीमें शासन करना, उसके ठाट-बाटका वर्णन । ( ३६) पृथ्वीपालको राज्य देना और स्वयं महाव्रत ग्रहण करना, उसके साथ रानियोंका भी तप करना, श्रीपालका मोक्ष प्राप्त करना, सिद्धचक्र विधानकी प्रशंसा, प्रशस्ति । १२. संस्कृत-प्राकृत अवतरण१३. समस्यापूर्ति१४. शब्द कोष-संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, सामान्यभूत क्रिया, पूर्वकालिक क्रिया, अव्यय । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001843
Book TitleSiriwal Chariu
Original Sutra AuthorNarsendev
AuthorDevendra Kumar Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1974
Total Pages184
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size12 MB
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