SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 139
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५ ५ १० ७६ सिरिवालचरिउ सुहेण जहिँ । घत्ता - अरिदवणहो णंदणु णयणाणंदणु सहावइ वहु-फल-दल-फुल्लइँ सुट्ठ-णवल्लइँ, लइ आयउ वणवालु तहिं ॥२५॥ २६ पिय भासण अरि-तासण गरेस "जो जोइट्ठाण - गुणु जो विणीउ मल-मलिण-गत्तु चारित-पत्तु सो संजयंतु मुणि आउ तेहि छइ वासपूजै-जिणहरि विचित्तु पय सत्त छँडिअ आसणु निवेण "र- णियरहि परिवारिउ णरिंदु पय उर- सद्दइँ रुणुझुणंति आइय वंदण पुरलोय सव्व बद्धावर सुणि गुण-गण-असेस | - सुर- खेर - अविंदणीउ । तव-वय- पहाणु विय-संत-वत्तु । उववण-किउ सरइ वसंतु जेहिं । आयउ वंदहुँ अरिवण-पुत्तु । गुरु व परोक्ख विणइ तेण । अंतर- सहियउ णं सुरिंदु | चल्लियजुवई मुणि गुण थुणंति । जे दूर भव्व आसण भव्व । घत्ता - जिण मंदिर दिट्ठउ सिलहि णिविट्ठर पिंडीदुम-छाया - वरेण । ति पाणि विणु विणउ करेविणु वंदिउ मुणिवरु णर- वरेण ||२६|| [ २.२५. १० २७ धम्म- बुद्धि' दिण्णिय सम्भावें जल-चंदण-अक्खय-कुसुमोहें पुणु कुसुमंजलि जिण-पय देष्पिणु पय पुज्जिवि वंदिवि अहिदिउ कहइ भडारउ हिंसा-वज्जिउ पर-दविणुवि पर-तिय वज्जिज्जइ तिणि गुण व्वय सिक्ख चयारि वि पुणु पणवेष्पिणु पुच्छइ णरवइ केण वि पुणे अइस जायउ Shrfa में भरायहं मिणु ? कम्में ण वि सायरे चल्लिउ मयणासुंदरि महु अइभत्ती M भाव- सुद्धि-सह शिव अणुराऐ । चरु-दीवहिं धूवहिं फल-ओहें । दंसणु णाणु चरितु भणेविणु । कहि पहु परम-धम्मु जगवंदिउ । धम्मु सुसच्चें वय पुज्जिउ । पुणु परिगह पमाणु णिव किज्जइ । हु सायार-धम्मु सिरिवाल वि । कहि परमेसर अम्हहँ भवगइ | अतुल- मल्लु तिहुयण - विक्खायउ | पुणु के कम्मे कोटिउ णिग्घिणु । केण वि पावें डोमिउ बोलिउ । कहि परमेसर कारण - जुत्ती । घत्ता - आणिवि वयणइँ मुणिवरु पभणइ पुण्ण - पाव फलु अक्खमि । भो सुणि महिवाल णिव सिरिवाल तुव जम्मांतरु अक्खमि ||२७|| Jain Education International २६. १. ग संजोइ । २. गवंत । ३. ग वासपुज्ज । ४. ग गुरु णाविउ णरोम्ह विणइ तेण । ५. ग पुणु देवाविय आणंद तुरु, वंदण चल्लिउ भव कमल सूरु । ६. ग जयई । २७. १. ग. विधि । २. ग. भणेष्पिणु । ३. ग. हिंस विवज्जिउ । ४. ग. तिहुवणि । ५. ग. पयभत्ति । ६. ग. जम्मंतरु 1 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001843
Book TitleSiriwal Chariu
Original Sutra AuthorNarsendev
AuthorDevendra Kumar Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1974
Total Pages184
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy