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गाथा संख्या
पृष्ठ संख्या
१८६ १८७ १८८ से १६१ १९२ १६३ १६४ १९५
१६७ १६८ १६६ २००, २०१ २०२
[६] विषय जीवको देहसे भिन्न जाननेके कारण जीव और देहके एकत्व माननेवाला भेदको नहीं जानता है जीवके कर्तृत्व आदिका वर्णन अन्यप्रकारसे जीवके भेद बहिरात्मा कैसा होता है ? अंतरात्माका स्वरूप उत्कृष्ट अन्तरात्मा मध्यम अन्तरात्मा जघन्य अन्तरात्मा परमात्माका स्वरूप परा शब्दका अर्थ जीवको सर्वथा शुद्ध माननेका निषेध अशुद्धता शुद्धताका कारण बंधका स्वरूप सब द्रव्योंमें जीव द्रव्य हो उत्तम परम तत्त्व है जीवहीके उत्तम तत्त्वपणा कैसे है ? पुद्गल द्रव्यका स्वरूप पुद्गल द्रव्यके जीवका उपकारीपणा जीव भी जीवका उपकार करता है पुद्गलके बड़ी शक्ति है धर्मद्रव्य और अधर्मद्रव्यका स्वरूप आकाशद्रव्यका स्वरूप सबही द्रव्योंमें आकाशके समान अवकाश देनेकी शक्ति है कालद्रव्यका स्वरूप परिणमन करनेकी शक्ति स्वभावभूत सब द्रव्योंमें है सब द्रव्योंके परस्पर सहकारी कारणभावसे उपकार है द्रव्योंकी स्वभावभूत नाना शक्तियोंका कौन निषेध कर सकता है ? व्यवहरिकालका निरूपण अतीत अनागत वर्तमान पर्यायोंको संख्या
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२०४ २०५ २०६, २०७ २०८, २०६ २१० २११
२१२
२१३ २१४, २१५
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