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________________ ५ १० जसहर चरिउ तिहुवेणसिरिकंतहो अइसयवंत हो पणविवि परमेट्ठिहि पविमलदिट्टिहि कोंडिगोत्तणह दिणयरासु हो मंदिरि णिव संतु संतु चिंतइ ये हो धणणारीकहान कह धम्मणिबद्धी का वि कहमि पंचसु पंच पंचसु महीसु धुएँ पंचसु दस विणासु जाइ कालावेक्ख हूँ पढमिल्ल देउ " पुरुदेवसामि रायाहिराउ जय रिसह रिसीसरणंवियपाय जय संभव संभवकयविओय जय सुमइ सुमइसम्मयपयास जय जयहि सुपास सुपासगत्त जय पुप्फयंत दंतंतरंग जय सेय सेय किरणोहसुज्ज जय विमल विमलगुणसेढिठाण जय धम्म धम्मतित्थयर संव जय कुंथु कुंथुपहुअंगिस दय Jain Education International १ अरहंत हो हयवम्महहो । चरणजुयल णयसयमहहो ||ध्रुवकं ।। वल्लहणरिंदघरमहयरासु । अहिमाणमेरु कइ पुप्फयंतु । पज्जत्तर कयदुक्कियपहाऍं । कहिया हूँ जाइँ सिर्वसोक्खु लहमि । उपज्जइ धम्मु दयासहीसु । कधिवख पुणु पुणु वि होइ । इह धम्मवाइ सियवसह केउ । आदि उसुरवरणिकाउ | घत्ता - वत्ताणुट्ठाणे जणु धणदाणें पहुँ पोसिउ तुहुँ खत्तधरु ॥ तवचरणविहाणें केवलणाणें तुहुँ परमप्पर परमपरु ||१|| २ जय अजय जियंगयरोसराय । जय अहिणंदण दियपओय । जय पउमपह परमाणिवास । जय चंद पह चंदाहवत्त | जय सीयल सीलवयणभंग । जय वासुपूज्ज पुज्जाणुपुज्ज । जय जयहि ताणतणाण । जय संति संतिविहियायवत्त | जय अर अरमाहर विहियसमय । १. १. STB read तिहुयण । २. SB चलण । ३. T अइसयमहहो । ४. S कोंडिण । ५. STB चितइ हो । ६. ST लहु मोक्खु । ७. T ध्रुवु । ८. P पुरुएउसामि । ९. T चउविहसुरणिकाउ । २. १. STB णमिय । २. P सोयलिय । ३. S अनंत अनंतणाण । ४. S सुदय । 3 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001841
Book TitleJasahar Chariu
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorParshuram Lakshman Vaidya, Hiralal Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1972
Total Pages320
LanguageApbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size22 MB
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