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________________ काम - काम ( मदन) १.५.१ कामग्गह- काम + ग्रह २. ६.५ कामजर- कामज्वर २.१०.१२ कामाउर - कामातुर ३. ७. ८ कामालस- काम + अलस २ १. १ कामिणि - कामिनी १. ३.५ कामिणिया- कामिनि (का) कामी - कामिन् १, १२. १६ कामुअ - कामुक २. १०. १४ काय - काय १. ७. १३ काय उल - काककुल १. १३. ३ कारण- कारण १.७.२ कारंड - कारण्ड (चक्रवाक) १. १२. ७ कारागार-कारा + अगार ४. २७. ३० कारावय-कारय् ( धातुः) कारिम - कृत्रिम ४. १८. १ कारुण्ण-कारुण्य ३. २४. ७ काल-काल १. १.९ कालगोयर - कालगोचर ( यमगोचर इत्यर्थः ) १.१३.२ शब्दकोशः किअ - कृत १. ६. ७ किज्ज - कृधातोः कर्मणि १२०. १ किणिअ - क्रीत २. २९. ८ किण्ह - कृष्ण ४. ७. ११ कित्तण-कीर्तन ३. २९. ६ कित्ति - कीर्ति १. १८. ६ कित्ति - कियत् (हि. कितना ) ३. १८.६ कित्तिम - कृत्रिम २.२३. ४ किमं- किम् + इमं = किमिदम् किमि - कृमि ३. १३. १२ किमिउल - क्रिमिकुल २. २८. ७ किय - कृत २. ३७.५ किर - किल २.९.६ Jain Education International किरण - किरण १. ३. ३ किरणोह - किरणो ( किरणसमूह) १.२.६ किरिया - क्रिया ३.२३. १ किलकिलि-किलि इति शब्दानुकरणम् १. १३.५ किलेस - क्लेश २. १.५ किवाण - कृपाण ( खङ्ग ) १.२. १२ किस - कृश ४. २६. १० किसलय - किसलय १. १२.७ किह - कुत्र २. ८. ६ किंकर - किंकर १. ८. ३ किंकिणि - किङ्किणी ३. १६. ६ किंणर-किन्नर ३. १६. ६ कीर - कीर ( शुक ) १.३.१२ कीर - कृधातोः कर्मणि कालाणल-कालानल १. २८. १ कालावेक्खा - कालापेक्षा ( कालावेक्खइ समये समये कुकइ - कु + कवि १ . २८ . ६ इत्यर्थः ) कुकइत्तण- कुकवित्व १. ३.६ कुकम्म कुकर्मन् २. २७. १५ कासवगोत्त- काश्यपगोत्र ४. ३१. २ कासायपड-काषायपट २. १८.४ काहल - काहल (वाद्य विशेषः ) २. २०.३ काहलियवंस - काहिलो गोपः तेन वाद्यमानः वंशः इति टिप्पणम् १. २१.५ कील - क्रीड् ( घातुः ) १. २४. ११ कील - क्रीडा १. ५. १४ कीलण - क्रीडन ( क्रीडा ) २.५.१५ कीलंत - क्रीडत् ३. १. ५ कीला-क्रीडा ३. ३.४ कीलाल - कीलाल ( रक्त ) १. १५.९ कुकलत्त - कुकलत्र २. १२. २२ कुक्क - कुक्क इति शब्दानुकरणे ( धातुः ) ३. १४.५ कुक्कुर - कू इति शब्दं कृ ( धातुः ) २. २७. ७ कुक्कुड - कुक्कुट २. १९. १२ कुक्कुडअ - कुक्कुट ( क ) कुक्कुडिया - कुक्कुटि ( का ) ३. १३. १७ कुक्कुरी - कुक्कुरी (शुनी ) २. ३१. १ कुगुरु-कुगुरु ३. ३१. १२ कुच्छि कुक्षि कुच्छिय - कुत्सित ३ २०.४ कुजम्म- कुजन्मन् ३. ७.५ कुट्टण - कुट्टन २.१७. १४ कुट्टोअर अ - कूटोदर ( शयनागार ) २.८. ८ १८१ कुट्ट - कुष्ठ २.११ ११; ३. १९. १६ कुडिल - कुटिल १. १७. २५; २. ३१.२ कुडिलत्तण- कुटिलत्व ४. १०. ११ कुडिल्ल - कुटी + इल्ल (स्वार्थे) ३. १३. १३ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001841
Book TitleJasahar Chariu
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorParshuram Lakshman Vaidya, Hiralal Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1972
Total Pages320
LanguageApbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size22 MB
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