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जसहरचरिउ
[ ३. २१. ३विणु धवलेण सयडु किं हल्लइ विणु जीवेण देहु किं चल्लइ । अण्णु जीउ महु अण्णु कलेवरु तेण भद्द हउँ हुवउ दियंवरु । परु ण दुगुंछमि मोक्खु समिच्छमि झाणालीणु णिरुत्तर अच्छमि । अट्टरउद्द झाण णउ इच्छमि धम्मसुक्कझाणिं पर पेच्छमि । आहाकम्मुद्देसहि चत्तउ
पिंडु लेमि जिह केवलिवुत्तउ । पंचासवदारइँ परिवजमि
एम बप्प इंदियबलु णिज्जमि । भणइ सुहडु गोसिंगु ण दुब्भइ विणु छत्तेण छाहि किं लब्भइ । विणु जीवेण मोक्खु को पावइ तुम्हारिसु किं अप्पउ तावइ । छंडहि तउ करि मेरउ वुत्तर जीउ वि देहु वि एक्क णिरुत्तउ । जिह तरुकुसुमहो गंधु ण भिण्णउ तिह जीउ वि देहाउ ण छिण्णउ । फुल्लेविणासि गंधु जिह णासइ तिह तणुणासिं जीउ वि णासइ । तं णिसुणेवि मुणिवरु आघोसइ परमप्पयहो वयणु परिपोसइ । चंपयवासु वि लग्गउ तेल्लहो एम गंधु जिह छिण्णउ फुल्लहो । तिह देहहो जीवहो भिण्णनणु विट्ठउ किं किर चवहि जडत्तणु । भणइ वीरु दिण्णई पच्चुत्तरि इंतु ण दीसइ जीउ पहंतरि घत्ता-पर दीसइ सोणियसुक्कधरु गब्भब्भंतरि बुढिगउ ।
तं णिसुणिवि संजमणियमणिहि कहइ भडारउ समियमउ ।।२१।।
२२
दुवई-दूरा एंतु सद् णउ दीसइ पर कण्णम्मि लग्गओ।
णजइ जेम तेम जगि जीउ वि बहुजोणीकुलं गओ ॥११॥ णकिं को वि ण रूवई पेक्खइ कणि को वि ण भक्खइँ चक्खइ । अण्णगेज्झु अण्णे ण लइज्जइ रूवें रूववत्थु जाणिजइ। तं पि सविसयवग्गपडिबद्धउ अण्णु होइ अणुमाणिं सिद्धउ । सुहुमु णे थूलिं णाणिं छिप्पइ करिकरेण किं राई घिप्पइ । सुहुमु जीउ सुहुमेण जि णाणिं दीसइ जगि केवलअहिणाणिं । ता सुंडीरु भणइ किं णिज्जइ जोणिहिँ केण जीउ आणिज्जइ । तं आयण्णिवि णवजलहरझुणि संसयहरु आहासइ तहो मुणि । अयसिरु छिंदिवि एक्कु महव्वइ जायउ अवरु वि तवभट्ठउ जइ । संभु वि बंभु वि कम्मायत्तउ कम्मविवाउ लोइ बलवंतउ । लोहु व कड्ढएण कड्ढिजइ जीउ सकम्मि चउगइ णिज्जइ । घत्ता-वित्थारु वि संघोरु वि करइ अट्ठकम्मपयडिहिं गहिउ ।
जगि कुंथु हवेप्पिणु करि हवइ जीउ सरीरमाणु कहिउ ॥२२॥
२१. १. T हल्लइ । २. S T झाणारूढु । ३. S पावासवदारइं। ४. S T चवइ । ५. T फुल्लविणासें ____ गंधु ण पावइ । ६. T परिघोसइ । ७. S T भिण्णउ । ८. A णियमविहि । २२. १. S T थूलणाणेण ण । २. S T संहारु ।
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