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जसहरचरिउ
[२.३७.७बहु थावरजंगमजीव उलु
णर तिरिय गिलंति णिच्चु सयलु । वियलिंदिय बहु पंचिंदिय वि अवरोप्परु खंति ण भंति क वि। हउँ कूरतरच्छे मारियउ
मई कालसप्पु संघारियउ । भो मारिदत्त णिव दिठु सई दूसहु अणुहवियउ दुक्खु मई। घत्ता-इय पिसुणिउ पई णिसुणिउ जइ तो हिंस विवज्जहि ॥
हयदप्पउ परमप्पउ पुप्फयंतु पडिवज्जहि ॥३७॥
इय जसहरमहारायचरिए महामहल्लणण्णकण्णाहरणे महाकइपुप्फयंतविरइए महाकब्वे
जसहरचंदमइमवंतरवण्णणो णाम बीओ संधी परिच्छेओ समत्तो ॥॥
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