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________________ [ १६ ३२७ ३२९ ३३० ३३१-३३४ ३३४ विषयानुक्रमणिका एकेन्द्रियादि जीवों के क्षेत्र और द्रव्य-प्रमाण का निरूपण एकेन्द्रियों में बादर और सूक्ष्म का निरूपण नित्यानिगोद का लक्षण एकनिगोद के शरीर में कितने जीव रहते हैं ? एकेन्द्रियादि जीवों के प्रमाण का वर्णन कुलकोटियों का निरूपण मार्गणाओं में अल्पबहुत्व का वर्णन बन्ध के कारणों का निर्देश बन्ध के भेदों का कथन मूलप्रकृतियों तथा उत्तरप्रकृतियों के भेद ज्ञानावरण के पाँच भेदों का निरूपण दर्शनावरण कर्म के भेदों का वर्णन वेदनीय और मोहनीय के उत्तरभेदों का कथन सोलह कषायों का प्रतिपादन नौ नोकषायों का निरूपण आयु और नाम कर्म के भेदों का कथन गोत्र और अन्तराय कर्म के भेदों का वर्णन गुणस्थानों की अपेक्षा प्रकृतिबन्ध के स्वामी ज्ञानावरणादि कर्मों की उत्कृष्ट स्थिति का निरूपण ज्ञानावरणादि कर्मों की जघन्य स्थिति का कथन अनुभागबन्ध का निरूपण प्रदेशबन्ध का प्रतिपादन उपशमना और क्षपणा विधि का वर्णन टीकाकार द्वारा टीका का समारोप परिशिष्ट १ : प्रशस्ति टीकाकत्री प्रशस्ति परिशिष्ट २ : गाथानुक्रमणिका परिशिष्ट ३ : शब्दकोश परिशिष्ट ४ : इन्द्रकों के नाम १२०३ १२०४ १२०५ १२०६ १२०७-१२०८ १२०६.१२१२ १२१३-१२२४ १२२५-१२२६ १२२७ १२२८-१२२६ १२३० १२३१ १२३२-१२३३ १२३४ १२३५ १२३६-१२३६ १२४० १२४१-१२४२ १२४३-१२४४ ३३५-३४१ ३४१-३४४ ३४४-३४५ ३४५-३४६ ३४६-३५३ ३५३-३५५ ३५५-३५७ ३५७-३५८ ३५०-३५६ ३५६-३७० ३७०-३७१ ३७२-३७५ ३७५-३७९ ३७६-३८० ३८०.३८४ ३८४-३८५ ३८५-३६१ ३६२ ३६३ १२४५ १२४६ १२४७ १२४८-१२४६ टाकाकनीस Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001839
Book TitleMulachar Uttarardha
Original Sutra AuthorVattkeracharya
AuthorGyanmati Mataji
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages456
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Religion, & Principle
File Size10 MB
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