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________________ ४१२] स्थापनालोकमाह ठविदं ठाविदं चावि जं किवि प्रत्थि लोग ि। saणालोगं वियाणा हि श्रणंतजिणदेसिदं ॥ ५४५।। ठविदं -- स्वतः स्थितम कृत्रिमं । ठाविदं - स्थापितं कृत्रिमं चापि यत्किंचिदस्ति विद्यतेऽस्मिन् लोके तत्सर्वं स्थापनालोकमिति जानीहि अनन्तजिनदर्शितत्वादिति ॥ ५४५|| द्रव्यलोकस्वरूपमाह--- जीवाजीवं स्वारूवं सपदेसमप्पदेसं च । दव्वलोगं वियाणाहि प्रणंत जिणदेसिदं ॥ ५४६॥ जीवाश्चेतनावन्तः । अजीवाः कालाकाशधर्माधर्माः पुद्गलाः । रूपिणो रूपरसगन्धस्पर्शशब्दवन्तः पुद्गलाः । अरूपिणः कालाकाशधर्माधर्मा जीवाश्च । सप्रदेशाः सर्वे जीवादयः । अप्रदेशौ कालाणुपरमाणू च । एनं सर्वलोकं द्रव्यलोकं विजानीहि अक्षय सर्वज्ञदृष्टो यत इति ॥ ५४६ ॥ तथेममपि द्रव्यलोकं विजानीहीत्याह [मूलाचारे परिणाम जीव मुत्तं सपदेसं एक्कखेत्त किरिश्रो य । णिच्चं कारण कत्ता सव्वगदिदरह्मि अपवेसो ॥ ५४७ ॥ स्थापना लोक को कहते हैं गाथार्थ - इस लोक में स्थित और स्थापित जो कुछ भी है उसको अनन्त जिन द्वारा देखा गया स्थापना लोक समझो ।। ५४५ ।। आचारवृत्ति - जो स्वतः स्थित है वह अकृत्रिम है और जो स्थापना निक्षेप से स्थापित किया गया है वह कृत्रिम है। इस लोक में ऐसा जो कुछ भी है वह सभी स्थापना - लोक है ऐसा जानो, क्योंकि अनन्त जिनेश्वर ने उसे देखा है । Jain Education International द्रव्यलोक का स्वरूप कहते हैं गाथार्थ -- जीव, अजीव, रूपी, अरूपी तथा सप्रदेशी एवं अप्रदेशी को अनन्तजिन द्वारा देखा गया द्रव्यलोक जानो ।। २४६ ॥ आचारवृत्ति - चेतनावान् जीव हैं और धर्म, अधर्म, आकाश, काल तथा पुद्गल ये अजीव हैं। रूप, रस, गन्ध, स्पर्श और शब्दवाले पुद्गल रूपी हैं । काल, आकाश, धर्म, अधर्म और जीव ये अरूपी हैं। सभी जीवादि द्रव्य सप्रदेशी हैं और कालाणु तथा परमाणु अप्रदेशी हैं अर्थात् ये एक प्रदेशी हैं। इस सर्वलोक को द्रव्यलोक समझो क्योंकि यह अक्षय सर्वज्ञदेव के द्वारा देखा गया है। तथा इनको भी द्रव्यलोक जानो ऐसा आगे और कहते हैं गाथार्थ- परिणामी, जीव, मूर्त, सप्रदेश, एक क्ष ेत्र, क्रियावान्, नित्य, कारण, कर्ता For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001838
Book TitleMulachar Purvardha
Original Sutra AuthorVattkeracharya
AuthorGyanmati Mataji
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages580
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Religion, & Principle
File Size12 MB
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