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आप्तमीमांसा [परिच्छेद-३ इच्छा आदि संभव नहीं हैं। प्रत्यभिज्ञान आदिके अभावमें पुण्य-पाप आदि कार्य भी नहीं हो सकता है। ऐसा मानना भी ठीक नहीं है कि संतान कार्य करती है। क्योंकि अवस्तु होनेसे सन्तान कार्य नहीं कर सकती है। पुण्य, पाप आदि कार्यके अभावमें प्रेत्यभाव, बन्ध, मोक्ष आदि भी नहीं हो सकते हैं। इसलिए क्षणिकैकान्त नित्यैकान्त, शन्यैकान्त आदिकी तरह प्रेत्यभाव आदिसे रहित होनेके कारण श्रेयस्कर नहीं है।
बौद्धोंका कहना है कि चित्तक्षणोंके क्षणिक होने पर भी वासनाके कारण प्रत्यभिज्ञान आदि हो जाते हैं। अतः पुण्य-पाप आदि कार्यारंभ, और प्रेत्यभाव आदिके होने में कोई विरोध नहीं है । उक्त कथन ठीक नहीं है। क्योंकि भिन्न-भिन्न कालवर्ती क्षणोंमें वासना नहीं बन सकती है। पहला चित्तक्षण दूसरे चित्तक्षणका कारण भी नहीं हो सकता है। क्योंकि निरन्वय क्षणिकवादमें कार्यकारणभाव भी संभव नहीं है। जो सर्वथा विनष्ट हो गया, वह किसीका कारण कैसे हो सकता है। चाहे वह एक क्षण पहिले नष्ट हुआ हो या एक वर्ष पहिले नष्ट हुआ हो । उन दोनोंमें कोई अन्तर नहीं है । अतः जैसे एक वर्ष पहले नष्ट क्षण कारण नही हो सकता, वैसे ही एक क्षण पहले नष्ट पूर्वक्षण उत्तरक्षणका कारण नहीं हो सकता। निरन्वयक्षणिकवादमें उत्तरक्षण पूर्वक्षणका कार्य भी नहीं हो सकता है। उत्तरक्षणकी उत्पत्ति पूर्वक्षणके अभावमें होनेसे,
और पूर्वक्षणके सद्भावमें न होनेसे उत्तरक्षणको पूर्वक्षणका कार्य कैसे कह सकते हैं। सर्वदा कारणका अभाव होने पर भी यदि कार्य किसी नियत समयमें होता है, तो नित्यैकान्तवादी सांख्य भी कह सकते हैं कि कारणके सर्वदा विद्यमान रहने पर भी कार्य किसी नियत समयमें होता है। क्षणिकैकान्तमें पूर्वक्षणके नष्ट हो जाने पर पूर्वक्षणके अभावमें उत्तरक्षणकी उत्पत्ति होती है। यहाँ प्रश्न यह है कि यदि पूर्वक्षणके अभावमें ही उत्तरक्षणकी उत्पत्ति होना है, तो पूर्वक्षणका अभाव तो एक क्षणको छोड़कर सर्वदा रहता है, उस समय उत्तरक्षणकी उत्पत्ति क्यों नहीं हो जाती। यदि कार्यकारणमें अन्वय-व्यतिरेकके न होने पर भी कार्यकी उत्पत्ति होती है, तो वह निर्हेतुक होनेसे आकस्मिक ही मानी जायगी। क्षणिक पक्षमें कारणका कार्य के प्रति कुछ भी उपयोग नहीं होता है, फिर भी किसी कार्यको किसी कारणका कार्य माना जाय तो नित्यपक्षमें भी कारणके सदा विद्यमान रहनेपर भी किसी कार्यको नित्यका कार्य कहने में कौनसी आपत्ति है। नित्यमें अनेक कार्य करनेके कारण
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