SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 16
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रकाशकीय श्राद्धवर्य धनजी सूरा जिन्होनें महोपाध्याय यशोविजयजी महाराजा की अनन्य प्रतिभा को पहचान कर उनके न्यायशास्रादि अध्ययन की सारी आर्थिक जिम्मेदारी लेकर जैन शासन मे हरिभद्रलघुबान्धव कलिकाल श्रुतकेवलि का सर्जन कीया । ऐसे महान् श्रुतभक्तो शत शतवंदन करते हुए हम शासनदेव से प्रार्थना करते है इस कि महाभीषण कलिकाल में भी एसे दानवीर तभक्त जन्म लेवे । आज हमें हर्प है कि हमारी संस्था वा अन्तिम पुष्प रुप ग्रन्थ प्रकाशित हो रहा है। वह श्रुतपुष्प जै नशासन के उद्यान में यावद् चन्द्रदिवाकर महकता रहें यही शुभकामना । ___ मङ्गलशुभाशीषदाता स्याद्वादनयप्रमाणविशारद, वर्धमान तपोनिधि, गच्छाधिपति पूज्यपाद आचार्य देव श्रीमद् विजय भुवन मानुसूरीश्वरजी महाराजा एवं आपश्री के शिष्य प्रशिष्य पदार्थ संग्रहकार व टीकाकार आचार्य पृङ्गव प.पू. सिद्धान्त दिवाकर जयघोषसूरीश्वरजी म.सा. स्वर्गीय प.पू. आचार्य श्री धर्मजित्सूरीश्वरजी म.सा. प. पू. आ. श्री हेमचन्द्रसूरीश्वरजी म. सा. प. पू. आ. श्रीगुणरत्नसूरीश्वरजी म. सा. को हम कृतज्ञता पूर्वक शत-शत वंदना करते हैं। संपादन कार्य की सम्पूर्ण जिम्मेदारी लेकर मुनिराज श्री संयमान विजयजी महाराज ने इस महाग्रन्थ को प्रकाश में लाने के लिए अथाग प्रयास किया है अतः हम वंदना पूर्वक पूज्य श्री का आभार मानते हैं । द्रव्यमहायक श्री पूरण जैन संघ एवं श्री पोरवाल जैन संघ शिवगंजकी उदारता के लिए हम अत्यंत आभारी । साथ-साथ ज्ञानोदय प्रिंटींग प्रेस के मेनेजर शंकरदासजी की कर्तव्यनिष्ठता को भी हम भूल नहीं सकते है।। (१) पिंडवाडा भवदीयस्टे. सिरोही रोड (राज.) शा समरथमलजी रायचंदजी (मंत्री) (२) १३५/१३७जौहरी बजार शा लालचंद छगनलालजी (मंत्री) बम्बई-२ समिति का ट्रस्ट मंडल (१) शेठ रमणलाल दलमुख भाई(प्रमुख,खंभात) (६) शा लालचन्द छगनलालजी मंत्री (२) शेठ माणेकलाल चूनीलाल (बम्बई) (पिंडवाडा) (३) शेठ जीवतलाल प्रतापशी (बम्बई) (७) शेट रमणलाल वजेचन्द (अहमदाबाद) (४) शा खूबचन्द अचलदासजी (पिंडवाडा) (८) शा हिमतमल रूगनाथजी (बेडा) (५) शा समरथमल रायचन्दजी (मंत्री) (९ शेठ जेठालाल चुनीलाल घीवाले (बम्बई) (पिंडवाडा) (१०) संघवी शा जयचंदजी भबुतमलजी(पिडवाडा) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001832
Book TitleKarmaprakrutigatmaupashamanakaranam
Original Sutra AuthorShivsharmsuri
AuthorGunratnasuri
PublisherBharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages332
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy