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चतुर्थं परिशिष्टम् निशीथभाष्यचूर्ण्यन्तर्गता दृष्टान्ताः
विषय अप्रशस्त भावोपक्रम प्रकाल स्वाध्याय
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विनय भक्ति और बहुमान उपधान-तप निह्नवन=प्रपलाप शंका और प्रशंका कांक्षा और अकांक्षा विचिकित्सा प्रोर निर्विचिकित्सा विदुगुडा साधुओं के प्रति कुत्सा अमूढ दृष्टि उपबृहण स्थिरीकरण वात्सल्य
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प्रथम भाग दृष्टान्त
पृष्ठ संध्या गणिका, ब्राहगी और अमात्य तक बेचने वाली महीरी शृग बजानेवाला किसान शंख बजाने वाला दो छारणहारिका वृद्धाएं श्रेणिक राजा र विद्यातिशयो चाण्डाल शिवपूजक ब्राह्मण और भील प्रसगड पिता प्राभीर विद्यातिशयो नापित दो बालक राजा और अमात्य विद्यासाघक श्रावक और चोर एक श्रावक-कन्या (श्रेरिणक पत्नी) सलसा श्राविका और अम्मड परिवाजक श्रेणिक राजा प्राचार्य प्राषाढभूति
२०-२१ बसस्वामी द्वारा संघरक्षा
२१-२२ नन्दीरण प्रज्ज खउड महावीर द्वारा गर्भ में माता त्रिशला की कृक्षि का चालन पुद्गल-भक्षो श्रमरण मोदकभक्षी श्रमरण शिरश्छेदक कुम्भकार श्रमण गजदन्तोत्पाटक श्रमण वटशाखा-भज्जक श्रमरण
विद्यासिद्ध लब्धिवीर्य
स्त्यानद्धि निद्रा
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