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सूत्रसंख्या
१
विषय
पन्द्रहवें तथा सोलहवें उद्देशक का सम्बन्ध सागारिक शय्या का निषेध सागारिक शय्या की व्याख्या सागारिक शय्या के भेद सागारिक पद के निक्षेप द्रव्य - निक्षेप
द्रव्य सागारिक के रूप, ग्राभरण-विधि, वस्त्र, अलङ्कार, भोजन, गन्ध, प्रातोय, नाट्य, नाटक, गीत प्रादि प्रकार; उनका स्वरूप तथा तत्संबन्धी प्रायश्चित्त
विषयानुक्रम
षोडश उद्ददेशक
द्रव्यसागारिक वाले उपाश्रय में निवास करने से लगने वाले दोषों का वर्णन
भाव निक्षेप
भाव सागारिका का स्वरूप
जनसाधारण, कौटुम्बिक और दण्डिक के स्वामित्व वाले भाव सामारिक अर्थात् दिव्य, मनुष्य और तिर्यञ्च सम्बन्धी • प्रतिमा तथा रूप-सहगत का स्वरूप और उसके प्रकार दिव्य प्रतिमा का स्वरूप
रूप =
दिव्य प्रतिमा के प्रकार
दिव्य प्रतिमा वाले उपाश्रय में निवास करने से स्थान प्रौर प्रतिसेवना- निमित्तक लगने वाले प्रायश्चित्त और तत्सम्बन्धी प्रश्नोत्तर
दिव्य प्रतिमा-युक्त उपाश्रय में निवास करने से लगने वाले श्राज्ञाभङ्ग आदि दोष और उनकी व्याख्या । श्राज्ञाभङ्ग पर गुरुतर दण्ड देने वाले चन्द्रगुप्त मौर्य का दृष्टान्त
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गाथाङ्क
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