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________________ गाथाङ्क २००३-१००४ १००५.-१००६ पृष्ठाङ्क १०३-१०४ १०४ १००७ १०४-१०५ १०५--१०८ १०५ सूत्र संख्या विषय नित्यपिण्ड संवन्धी प्रायश्चित्त नित्यपिण्ड ग्रहण करने से लगने वाले दोष नित्यपिण्ड सम्बन्धी अपवाद ३३--३६ नित्य पिण्ड का उपभोग करने का निषेध, तद्विषयक अपवाद एवं प्रायश्चित्त वास चार प्रकार के नित्य द्रव्यादि की चतुर्भङ्गी द्रव्यादि चार प्रकार के निलों की विशेष व्याख्या नित्यवास के प्रायश्चित्त नित्यवास के अपवाद ३८ दान-संस्तव दान के पूर्व प्रथदा पश्चात् दाता के संस्तव का निषेध संस्तव के भेद स्वजन-संस्तव के दोष १००८--१००६ १०१०-१०२४ १.१० १०११-१०१२ १०१३-१०१८ १०१६-१०२० १०२१--१०२४ १०२५--१०५३ १०६--१०७ १०७ ५०८-११३ १०८ १०८--१११ १११-११२ १०२५-१०४० १०४१-१०४५ १०४६-१०४७ वचन-संस्तव १०४८-१०४६ १०५० १०५१ १०५२ ३ १०५३ ३६ १०५४ १०७६ ११३-११७ पश्चात्-संस्तव संस्तव का प्रायश्चित संस्तव सम्बन्धी अपवाद वचन और स्वजन-संस्तव की पूर्वापरता निर्ग्रन्थों के समान निन्थियों का वर्णन आहार भिक्षाकान के पूर्व अथवा पश्चात् स्वजनों के यहां भिक्षार्थ जाने का निषेध एवं तद्विषयक दोष मिक्षार्थ जाने के कारण प्रबलतम कारण के सात भेद कारणवशात भिक्षा के लिए जाने वाला पाराधक मातृकुल और पितृकुल की व्याख्या अकाल-प्रवेश के दोष १०५४-१०६० १०६१-१०६३ १०६४-१०६६ १०६७-१०६८ १०६६-१०७२ १०७३-१०७७ ११३-११४ ११४-११५ ११५ ११५-११६ ११६ ११६-११७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001829
Book TitleAgam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
PublisherAmar Publications
Publication Year2005
Total Pages498
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_sanstarak
File Size24 MB
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