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________________ २७ निशीथनियुक्ति और उसके कर्ता : प्रस्तुत निशीथभाष्य में नियुक्ति मंमिलित हो गई है-इसका प्रमाण यह है कि कई गाथाओं के सम्बन्ध में चूर्णिकार ने नियुक्ति गाथा होने का उल्लेख किया है, जैसे कि : ५६२, ६०१, ६१४, ६१६, ६३०, ६३६, ६८५, ७५६, ८१६, ८६५, ६४८, ६७८, ६६E, १०१०, १०२५, १०५४, ११०४, १२८७, १६००, १३१०, १४६५, १४८३, १४६१, १५१४, १५४४, १५६२, १६६६, १८६५, २०६:, २१८१, २१६६, २४३१, २५३३, २६०७, २८८८, २६३४, ३१२३, ३१३८, ३४७२, ३४७६, ३७८८, ४२१०, ४२३०, ४२७५, ४२७६, ४२७८, ४३४०, ४३४५, ४३४६, ४३५३, ४५००, ४५२७, ४८६८, ५००१, ५०६७, ५४२०, ५६३४, ५७२६ । निशीथनियुक्ति प्राचार्य भद्रबाहुकृत है, इसका स्पष्ट उल्लेख चूर्णिकारने निम्न रूप में किया है, उससे स्पष्ट हो जाता है कि निशीथ-नियुक्तिकार भद्रबाहु ही थे : 'इदानी उहेसकस्स उघसकेन सह संबंधं वक्त कामो प्राचार्यः भद्रबाहुस्वामी नियुक्तिगाथामाह--गा० १८६५। यह सम्बन्ध-वाक्य पांचवें उद्देश के प्रारंभ में है। कुछ गाथाओं को स्पष्ट रूप से प्राचार्य भद्रबाहुकृत नियुक्ति-गाथा कहा है, तो कुछ गाथाओं के लिये केवल इतना ही कहा है कि यह गाथा भद्रबाहुकृत है। इससे भी स्पष्ट होता है कि निशीथनियुक्ति भद्रबाहुकृत है । इस प्रकार की कुछ गाथाएँ ये हैं : ७७, २०७, २०८, २६२, ३२५, ४४३, ५४३, ५४५, ७६२, ४३६२, ४४०५, ४४६४, ४७८४, ४८८६, ५०१०, ५६७२, ६१३८, ६४६८, ६५४०, इत्यादि । बृहत्कल्प की नियुक्ति भी भद्रबाहुकृत है। और बृहत्कल्प-नियुक्ति की कई गाथाएं, प्रस्तुत निशीथ में, प्रायः ज्यों की त्यों ले ली गई हैं। यहाँ नीचे उन कुछ गाथाओं का निर्देश किया जाता है, जिनके विषय में निशीथचूरिणकारने तो कुछ परिचय नहीं दिया है, किन्तु बृहत्कल्प के टीकाकारों ने उन्हें नियुक्तिगाथा कहा है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001828
Book TitleAgam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
PublisherAmar Publications
Publication Year2005
Total Pages312
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, F000, F010, & agam_nishith
File Size17 MB
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