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________________ विषयानुक्रम पृष्टाङ्क १३-१४ . ८.८ विषय गाथाङ्क पृष्टाङ्क विषय गाथाङ्क सम्बन्ध-निर्देश १ १-५ ५ - निह्नवन द्वार प्राचारांग-मूत्र का स्वरूप और विद्या गुरू का नाम छिपाने का उसका निशीथ सूत्र से सम्बन्ध निषेध, नाम छिपाने पर प्राय श्चित का विधान तथा त्रिदण्डी १ आचार-दार २-४८ २-२७ का उदाहरण प्राचार-प्रकल्प के गुगनिष्पन्न नाम २ प्राचार और अग्र प्रादि द्वारों के नाम ३ ६ - व्यंजन-द्वार निक्षेप-संख्या अक्षर, मात्रा, पद, बिन्दु आदि प्राचार के नाम आदि निक्षेप . ५ का यथास्थान उच्चारण न करने द्रव्य-प्राचार का निरूपण पर प्रायश्चित्त भाव-प्राचार के ज्ञानाचार आदि ५ भेद ७ ७-अर्थ-द्वार (१) ज्ञानाचार -२२६-१४ सूत्र का विपरीत अर्थ करने ज्ञानाचोर के ८ मंदों का सोदा पर प्रायश्चित हरण निरूपण ६ ८- तदुभय-द्वार २० २२ १-कालद्वार ६-१२ अक्षर प्रादि का तथा सूत्र के स्वाध्याय के काल में स्वाध्याय अर्थ का विपरीत कथन करने का विधान, अकाल में स्वाध्याय पर प्रायश्चित्त का निषेध, तथा अकाल में (२) दर्शनानार २३-३४ स्वाध्याय करने से होने वाली दर्शनाचार के आठ भेदों का हानियों का मोदाहरण कथन मोदाहरण निरूपण २३ . अकाल-स्वाध्याय के प्रायश्चित्त। २ - विनय-द्वार १३ -१० - राकाहार विनय-पूर्वक ज्ञान ग्रहण करने शंका का स्वरूप तथा मंशयी का विधान, राजा श्रेणिक और और असगयी का गुण-दोप हरिकेश का उदाहरण दर्शक उदाहरण ३ - बहुमान-द्वार १४ १०-११ २--कांक्षा-द्वार भक्ति तथा बहुमान पूर्वक ज्ञान कांक्षा का स्वरूा तथा कांक्षाग्रहण करने का विधान वान् और कांक्षा रहित का ब्राह्मण और पुलिन्द का उदाहरण गुण दोष दर्शक उदाहरण ४ - उपधान-द्वार १५. ११ ३ - विचिकित्सा-द्वार २५ जान पाराधना में उपधान तप विनिकित्सा का स्वरूप तथा के महत्त्व पर असगड पिता का विचिकित्सावान् पीर विचिउदाहरण प्रविधि से उपधान किमाहित का गुण-दोष दर्शक करने पर प्रायश्चित्त उदाहरण १४-२२ १४ २४ १६.१७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001828
Book TitleAgam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
PublisherAmar Publications
Publication Year2005
Total Pages312
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, F000, F010, & agam_nishith
File Size17 MB
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