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श्रीपाल-चरित्र
ताकि हम लोग अपना काम पूरा कर यहाँ से प्रस्थान करें। परदेशी होने से यह लाभ होगा कि यहाँ किसी प्रकार का बावेला न मचेगा, न कोई उसकी खोज खबर ही लेगा।
धवल सेठ की यह आज्ञा मिलते ही उसके दस हजार सुभट श्रीपाल को पकड़ने के लिये दौड़ पड़े। उन्होंने श्रीपाल के निकट पहुंचते ही बड़ी उदण्डता-पूर्वक कहा :- “चलो, तुम्हारी जिन्दगी के दिन पूरे हो गये । धन कुबेर धवल सेठ तुम पर रुष्ट हो गया है। हम लोग तुम्हें उसके पास पकड़ ले चलेंगे। वहां तुम्हारा बलिदान होगा। हमारी इन बातों में लेशमात्र भी झूठ नहीं है।”
धवल सेठ के आदमियों की यह बातें सुन श्रीपाल को स्वाभाविक ही कुछ क्रोध आ गया। उन्होंने कहा :- “मूर्यो! कहीं सिंह का भी बलिदान होते सुना है? तुम्हारा मालिक धवल, बकरे के समान कोई पशु होगा। अतः बलिदान के लिये वही उपयुक्त हो सकेगा।" ___ जब धवल सेठ ने यह बात सुनो और उसे मालुम हुआ किं श्रीपाल को गिरफ्तार करना सहज काम नहीं है, तब उसने राजा से सब समाचार निवेदन कर उसकी सहायता चाही। राजा ने सहर्ष सहायता देना स्वीकार किया। धवल सेठ की सेना के साथ-साथ राजा की सेना भी श्रीपाल को पकड़ने के लिये अग्रसर हुई।
__ श्रीपाल को पकड़ना सहज कार्य न था। श्रीपाल ने तुरन्त ही दोनों दलों से युद्ध करना आरम्भ कर दिया। इस
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