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________________ छठा परिच्छेद समुद्र-यात्रा धवल सेठ को जब यह मालूम हुआ कि एक सर्वगुणसम्पन्न पुरुष की बलि चढ़ाये बिना नौकायें आगे न बढ़ सकेंगी, तब उसे ऐसा पुरुष प्राप्त करने की चिन्ता लगी। राज-नियम के अनुसार यह कार्य बिना राजा की आज्ञा के न हो सकता था, इसलिये कुछ भेटें लेकर धवल सेठ राजा की सेवा में उपस्थित हुआ। राजा ने जब उसके आगमन का कारण पूछा, तब उसने सारी बातें कह सुनायी। राजा ने कहाः—मैं इसके लिये सहर्ष आज्ञा दे सकता हूँ, किन्तु शर्त यह है कि जो मनुष्य पकड़ा जाय वह परदेशी हो और इस नगर में उसका कोई भी रिश्तेदार या कुटम्बी न रहता हो। राजा की आज्ञा मिलते ही धवल सेठ ने चारों ओर अपने आदमी छोड़ दिये। उन्हें आज्ञा दी, कि जहाँ ऐसा पुरुष मिले वहीं से उसे पकड़ लाया जाय। धवल सेठ के आदमी कई दिन तक समूचे नगर में खोज करते रहे, परन्तु कोई भी सर्वगुण-सम्पन्न परदेशी पुरुष न मिला। अन्त में बड़ी कठिनाई के बाद श्रीपाल पर उन लोगों की निगाह पड़ी। उन्होंने तुरन्त ही धवल सेठ को यह समाचार दिया। धवल सेठ ने आज्ञा दी कि , शीघ्र ही उस पुरुष को गिरफ्तार कर हाजिर करो, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.001827
Book TitleShripal Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain
PublisherJain Shwetambar Panchyati Mandir Calcutta
Publication Year2003
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size15 MB
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