________________
महावीर वाणी भाग 2
रोकना बहुत मुश्किल है । जितना हम आगे बढ़ते हैं उतना ही रोग भयंकर होता चला जाता है और जो पहले पर ही नहीं रोक पाया, वह अगर सोचता हो कि तीसरे पर रोक लेंगे तो वह अपने को धोखा दे रहा है। क्योंकि पहले पर वह वजनी था, ताकतवर था, तब नहीं रोक पाया, अब तीसरे पर रोकेगा, जब कमजोर हो जायेगा !
इसलिए महावीर कहते हैं, ‘अधिक मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि वे मादकता पैदा करते हैं। और मत्त पुरुष अथवा स्त्री के पास वासनाएं वैसे ही दौड़ी आती हैं, जैसे स्वादिष्ट फलवाले वृक्ष की ओर पक्षी।'
लेकिन हम तो चाहते हैं कि लोग हमारे चारों तरफ दौड़े हुए आयें, हम तो चाहते हैं कि स्वादिष्ट फल बन जायें हम, लदे हुए वृक्ष । सारे पक्षी हम पर ही डेरा करें। तो जहां नहीं भी हैं फल, वहां हम झूठे नकली फल लटका देते हैं ताकि वृक्ष पर दौड़े हुए लोग आयें। पक्षी तो धोखा नहीं खाते नकली फलों से, आदमी धोखा खाते हैं ।
हर आदमी बाजार में खड़ा है अपने को रसीला बनाये हुए कि चारों तरफ से लोग दौड़ें और मधुमक्खियों की तरह उस पर छा जायें । जब तक किसी को ऐसा न लगे कि मैं बहुत लोगों को पागल कर पाता हूं तब तक आनन्द ही नहीं मालूम होता है जीवन में। जब भीड़ चारों तरफ से दौड़ने लगे तब आपको लगता है कि आप मैग्नेट हो गये, करिश्मैटिक हो गये। अब आप चमत्कारी हैं ।
राजनीतिक का रस यह है, नेता का रस यह है कि लोग उसकी तरफ दौड़ रहे हैं, भाग रहे हैं। अभिनेता का, अभिनेत्री का रस यह है कि लोग उसकी तरफ दौड़ रहे हैं, भाग रहे हैं।
तो हम तो अपने को एक मादक बिंदु बनाना चाहते हैं, जिसमें चारों तरफ, जिसके व्यक्तित्व में शराब हो और खींच ले। और महावीर कहते हैं कि जो दूसरे को खींचने जायेगा, वह पहले ही दूसरों से खिंच चुका है। जो दूसरों के आकर्षण पर जीयेगा वह दूसरों से आकर्षि
। और जो अपने भीतर मादकता भरेगा, बेहोशी भरेगा, लोग उसकी तरफ खिंचेगे जरूर, लेकिन वह अपने को खो रहा है और डुबा रहा है। और एक दिन रिक्त हो जायेगा और जीवन के अवसर से 'चूक जायेगा ।
निश्चित ही, एक स्त्री जो होशपूर्ण हो, कम लोगों को आकर्षित करेगी। एक स्त्री जो मदमत्त हो, ज्यादा लोगों को आकर्षित करेगी। क्योंकि जो मदमत्त स्त्री... पशु जैसी हो जायेगी - सारी सभ्यता, सारा संस्कार, सारा जो ऊपर था वह सब टूट जायेगा। वह पशुवत हो जायेगी । एक पुरुष भी, जो मदमत्त हो, ज्यादा लोगों को आकर्षित, ज्यादा स्त्रियों को आकर्षित कर लेगा, क्योंकि वह पशुवत हो जायेगा । उसमें ठीक पशुता जैसी गति आ जायेगी । और सब वासनाएं पशु जैसी हों तो ज्यादा रसपूर्ण हो जाती हैं। इसलिए जिन मुल्कों में भी कामवासना प्रगाढ़ हो जायेगी, उन मुल्कों में शराब भी प्रगाढ़ हो जायेगी। सच तो यह है कि फिर बिना शराब पिये कामवासना में उतरना मुश्किल हो जायेगा । क्योंकि वह थोड़ी-सी जो समझ है, वह भी बाधा डालती है। शराब पीकर आदमी फिर ठीक पशुवत व्यवहार कर सकता है 1
I
यह जो हमारी वृत्ति है कि हम किसी को आकर्षित करें, अगर आप आकर्षित करना चाहते हैं किसी को, तो आपको किसी न किसी मामले में मदमत्त होना चाहिए। जो राजनीतिज्ञ नेता पागल की तरह बोलता है, जो पागल की तरह आश्वासन देता है, जो कहता है कि कल मेरे हाथ में ताकत होगी तो स्वर्ग आ जायेगा पृथ्वी पर, वह ज्यादा लोगों को आकर्षित करता है। जो समझदारी की बातें करता है, उससे कोई आकर्षित नहीं होता। जिस अभिनेत्री की आंखों से शराब आपकी तरफ बहती हुई मालूम पड़ती है, वह आकर्षित करती है। अभिनेत्री के पास बुद्ध जैसी आंख हो, तो आप पागल जैसे गये हों तो शांत होकर घर लौट आयेंगे। उसके पास आंख चाहिए जिसमें शराब का भाव हो । मदहोश आंख चाहिए। उसके चेहरे पर जो रौनक हो, वह आपको जगाती न हो, सुलाती हो ।
जहां भी हमें बेहोशी मिलती है, वहां हमें रस आता है। जिस चीज को भी देखकर आप अपने को भूल जाते हैं, समझना कि वहां शराब है। जिस चीज को भी देखकर आप अपने को भूल जाते हैं, अगर एक अभिनेत्री को देखकर आपको अपना खयाल नहीं रह जाता,
Jain Education International
72
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org.